पचास हजार से अधिक की भीड़ जुटी थी। इतने बड़े आयोजन के लिए महज 40 पुलिस कर्मी लगाए गए। दो एंबुलेंस ही यहां तैनात की गईं। फायर ब्रिगेड का कोई दस्ता तो यहां था ही नहीं। इतना ही नहीं अधिकारी भी पौने तीन घंटे बाद मौके पर पहुंचे हैं। वह भी तब जब लखनऊ से हल्ला मचा।
अगर प्रशासन ने पहले ही इस आयोजन को लेकर मुकम्मल इंतजाम किए होते तो यकीन मानिए इतनी जनहानि कतई न होती। यहां तो कदम कदम पर लापरवाही देखने को मिली। इस हादसे ने पुलिस, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की कलई खोल कर रख दी है। इस हादसे के दौरान प्रशासनिक तंत्र पूरी तरह से लाचार दिखा।
न तो मौके पर ठोस इंतजाम थे, न इस तरह की व्यवस्था थी कि अगर कोई दुर्घटना हो जाए तो कैसे निपटा जाए। कमोबेश यही हालात ट्रामा सेंटर पर दिखे। घंटों की देरी से पहुंचे जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक अपने अधीनस्थों को निर्देश देते रहे।
आलम यह रहा कि अस्पताल में तमाम प्रयासों के बावजूद भी ऑक्सीजन, बिजली व अन्य व्यवस्थाओं को प्रशासनिक अमला संभाल नहीं सका। जिससे लोगों में गुस्सा दिखा। स्वास्थ्य विभाग की लाचारी को लेकर कई बार लोगों में रोष देखने को मिला है, लेकिन स्वास्थ्य सेवाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं।
सिकंदराराऊ सीएचसी स्थित ट्रामा सेंटर पर जैसे ही घायलों का पहुंचना शुरू हुआ तो यहां न ऑक्सीजन मिली और न ही पैरामेडिकल स्टाफ और चिकित्सक। लोगों का आरोप था कि यहां अस्पताल परिसर में महज एक बोतल चढ़ाने की व्यवस्था है। न तो पंखे चल रहे हैं और न ही ऑक्सीजन मिल रही है।
अफसरों को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा। जैसे ही जिलाधिकारी आशीष कुमार मौके पर पहुंचे तो उन्होंने खुद वहां के हालात देखकर सीएमओ व अन्य अधिकारियों को फोन मिलाए, लेकिन कोई सुधार नहीं हो सका। यहां तक कि खुद अफसर स्थानीय लोगों से पंखें, पानी आदि की मदद के लिए कहने लगे।
क्या खुफिया तंत्र ने रिपोर्ट दी थी
मंगलवार को आयोजित सत्संग में हुई इस घटना के बाद बड़ा सवाल यह कि आखिर इस हादसे के लिए कौन जिम्मेदार है? हालांकि सूत्र खुफिया तंत्र की ओर से किसी दुर्घटना के अंदेशे की रिपोर्ट देने का दावा कर रहे हैं। मगर यह बात हजम नहीं हो रही और इस पूरी घटना में खुफिया तंत्र फेल नजर आया है।
सूत्रों का दावा है कि खुफिया तंत्र ने सवा लाख तक लोगों के जमा होने का अंदेशा जताया। अगर यह रिपोर्ट दी गई थी तो फिर उसके अनुसार इंतजाम क्यों नहीं किए गए।
सूत्र बताते हैं कि एलआईयू व अन्य खुफिया जांच एजेंसियों द्वारा अपने उच्चाधिकारियों को सत्संग भवन को लेकर भेजी गई रिपोर्ट में कहा था कि सत्संग कार्यक्रम में सवा लाख से अधिक भीड़ जुटने की संभावना है।
हादसे के बाद बड़ा सवाल है उठता है कि आखिर एलआईयू और अन्य जांच एजेंसियों द्वारा पहले ही अपनी रिपोर्ट में हादसे को लेकर पहले ही सतर्क किया गया था, लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदारी अधिकारियों ने इसे लेकर कोई ध्यान नहीं दिया गया, आखिर इतने बड़े हादसे के लिए कौन जिम्मेदार होगा?
ये रहीं लापरवाही
– 20 हजार की अनुमति के बावजूद मात्र 40 पुलिसकर्मी लगाए गए
– 50 हजार से ज्यादा की भीड़ जुटने का नहीं था एलआईयू इनपुट
– 2 इंस्पेक्टर आयोजन स्थल पर थे, जिनमें एक प्रभारी निरीक्षक भी
– 2 एंबुलेंस ही इस भीड़ को ध्यान में रखकर लगाई गई, दमकल नहीं
– 2:45 घंटे बाद घटनास्थल पर पहुंच सके थे डीएम और एसपी
– 6 बजे जाकर अधिकारियों का समन्वय हो सका था स्थापित
इस घटना को लेकर सभी पहलुओं पर जांच कराई जाएगी। किस स्तर से लापरवाही हुई है। किस स्तर से अनदेखी की गई है। सभी जांच का हिस्सा होंगे। उसी अनुसार कार्रवाई होगी।-शलभ माथुर, आईजी जोन
एडीजी-मंडलायुक्त की समिति आज शाम तक देगी रिपोर्ट
इस मामले में शासन के निर्देश पर एडीजी व मंडलायुक्त की जांच टीम गठित की गई है । वह जांच में लापरवाही के पहलू पर काम करेगी। यह जांच आज शाम तक तैयार कर शासन को दी जाएगी। उसी स्तर से कार्रवाई शासन स्तर से तय होगी।