इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने एक महत्वपूर्ण फैसले ललितपुर के अपर जिला जज रहे उमेश कुमार सिरोही की बर्खास्तगी को रद्द करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में तल्ख टिप्पणी भी की। कहा कि अगर खराब मछली की पहचान हो जाए तो उसे टैंक से बाहर करना ही उचित होता है। हद पार कर देने वाले को किसी भी दशा में बख्शा नहीं जा सकता है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न्यायिक कदाचार के आरोपी ललितपुर के अपर जिला जज रहे उमेश कुमार सिरोही की बर्खास्तगी पर मुहर लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि किसी न्यायिक अधिकारी द्वारा अपने लिए या अपने करीबी रिश्तेदारों के लाभ के लिए किए गए किसी भी कदाचार से हमेशा गंभीरता से निपटा जाना चाहिए।
पहला आरोप पत्र मेरठ में तैनाती के दौरान जारी हुआ, जिसमें उन पर अपने सिविल जज भाई की शादी के लिए दहेज मांगने और अपने भाई की पत्नी और उसके परिवार को फंसाने की साजिश के तहत अपने हाथ पर चोट पहुंचाने का आरोप लगाया गया था। जबकि, दूसरे आरोप पत्र में उन्होंने अपनी पत्नी की ओर से दर्ज मामले की कार्यवाही में एक अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को प्रभावित करने की कोशिश की थी। उन पर तत्कालीन जिला न्यायाधीश मेरठ के खिलाफ पक्षपात के झूठे आरोप लगाने का भी आरोप लगाया गया था।
आरोप सिद्ध होने पर 2021 में किया गया था बर्खास्त
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