हांगकांग ने एक नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पारित किया है। इस कानून में विभिन्न मामलों के लिए कठोर दंड का प्रावधान किया गया है। यह 23 मार्च से लागू होगा। कहा जा रहा है कि इस नए कानून के जरिए सरकार को असहमति की आवाज को दबाने की और भी अधिक ताकत मिल गई है। हालांकि वहां के नागरिक संगठनों ने इसका विरोध किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंगलवार को विधानपरिषद के एक विशेष सत्र के दौरान यह प्रस्ताव पारित किया गया। इस मौके पर विधान परिषद के अध्यक्ष एंड्रयू लेउंग ने कहा कि इस कानून का पारित होना ऐतिहासिक क्षण है।
बेहद कठोर प्रावधान
इस कानून में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे से जुड़े मामलों के लिए बेहद कठोर दंड के प्रावधान किए गए हैं। इनमें देशद्रोह के लिए आजीवन कारावास के नियम शामिल किए गए हैं। इतना ही नहीं, देश के खिलाफ लेख या साहित्य रखने सहित छोटे अपराधों के लिए भी कई सालों की जेल का प्रावधान किया गया है। साथ ही इसमें दुनिया में कहीं भी किए गए कृत्यों के लिए आपराधिक मुकदमा चलाने की अनुमति देने वाले प्रावधान भी किए गए हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस कानून का उद्देश्य जासूसी, देश की गुप्त जानकारी साझा करने और गैरकानूनी कृत्यों को अंजाम देने के लिए ‘बाहरी ताकतों के साथ मिलीभगत को रोकना है। इसमें यह भी कहा गया है कि जो लोग राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने के इरादे से सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाते हैं, उन्हें 20 साल की जेल हो सकती है। वहीं, अगर उन्होंने बाहरी ताकतों के साथ मिलीभगत की है, तो उन्हें जीवन भर की सजा हो सकती है।
नागरिक संगठनों और आलोचकों ने बताया- यह चिंताजनक
वहीं, कई नागरिक संगठनों ने इस कदम को चिंताजनक करार दिया है। उनका दावा है कि इस नए कानून के जरिए सरकार ने असहमति को कुचलने की अपनी शक्ति का विस्तार कर लिया है। इतना ही नहीं उनका कहना है कि यह नया कानून हांगकांग में नागरिक स्वतंत्रता को और कमजोर बना देगा।
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