प्रयागराज स्टेशन के पास स्थित बायोवेद के सभागार में कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉक्टर बृजेशकान्त द्विवेदी, मुख्य अतिथि डॉक्टर रामजी मिश्र, विशिष्ट अतिथि श्रीप्रकाश मिश्र, एवं प्रोफेसर कल्पना वर्मा, डॉक्टर सरिता श्रीवास्तव ने की। सर्वप्रथम अतिथियों ने माँ वीणापाणि के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन किया। आकांक्षा पाल, रचना सक्सेना, राजेश सिंह राज ने संयुक्त रूप से माँ सरस्वती की वंदना करके कार्यक्रम को औपचारिक शुरुआत दी। इस अवसर पर मंचासीन अतिथियों का माल्यार्पण करके सम्मान किया गया।
विमर्श अंक आचार्य रामचंद्र शुक्ल और महिला काव्य गोष्ठी विशेषांक के विमोचन के बाद प्रोफेसर डाक्टर रवि मिश्र ने दोनों अंकों का संपादकीय वाचन किया।
इस अवसर पर डॉक्टर सरिता कुमारी श्रीवास्तव ने शहर समता की ओर से की पहल को सराहा। उन्होंने संपादक के साहित्य कर्म की विशेष चर्चा की। प्रोफेसर कल्पना वर्मा ने कहा कि आचार्य शुक्ल पर यह अंक अद्वितीय है।
इस अवसर पर श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि शहर समता में अक्सर चौंकाने वाली कार्य प्रणाली प्रकट होती है। आज के परिवेश में आचार्य रामचंद्र शुक्ल की आलोचना कितनी प्रासंगिक हैं।
इस अवसर पर डॉक्टर रामजी मिश्र ने कहा कि आचार्य रामचंद्र शुक्ल से संबंधित सत्तर के दशक में उनके आवास का जिक्र किया। उनकी पौत्री मुक्ता से जुड़े संस्मरण भी साझा किए।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डाॅक्टर बृजेशकान्त द्विवेदी ने कहा कि ऐसी संगोष्ठी में बहुत कुछ सीखने को मिलता है। यहाँ मैं काव्य में भी अपने लिए विज्ञान ढूँढ लेता हूँ। साहित्यिक विकास सामाजिक समरसता से ही हो सकता है। कार्यक्रम का संचालन प्रकाशक, साहित्यकार व पत्रकार उमेश श्रीवास्तव ने किया।
इस अवसर पर हुए काव्य पाठ में रचना सक्सेना, संजय सक्सेना, डॉक्टर रवि मिश्र, शम्भुनाथ श्रीवास्तव, पंडित राकेश मालवीय मुस्कान, डॉक्टर भगवान प्रसाद उपाध्याय, डॉक्टर रामलखन चौरसिया, डॉक्टर प्रदीप चित्रांशी, निखिलेश मालवीय, मंजू प्रकाश, ममता पटेल, डॉक्टर शशि जायसवाल, मोहिनी, विभा मिश्रा, देवी प्रसाद पाण्डेय, अजय वर्मा साथी, राहुल पवार, अशोक श्रीवास्तव कुमुद, वेदव्यास मिश्र, मिली श्रीवास्तव आदि ने काव्य पाठ किया। धन्यवाद ज्ञापन पंडित राकेश मालवीय मुस्कान ने किया।
Anveshi India Bureau