Tuesday, October 22, 2024
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!! कविता की रस में झूम उठे श्रोता !!!

प्रयागराज। डाक मनोरंजन क्लव के पूर्व सचिव स्व एम.पी. सिंह की याद में ॅ. साहित्यिक संस्था गुफ़्तगू और डाक मनोरंजन क्लब के तत्वावधान में गुरुवार की शाम कवि सम्मेलन और मुशायरे का आयोजन किया गया। इस मौके गुफ़्तगू पत्रिका के एक ख़ास अंक का विमोचन भी किया गया। अध्यक्षता वरिष्ठ शायर तलब जौनपुरी ने किया, मुख्य अतिथि के रूप में सहायक डाक निदेशक मासूम रज़ा राशदी मौजूद रहे। संचालन शैलेंद्र जय ने किया।

ख़्यातिलब्घ शायर डॉ. नायाब बलियावी ने गर्मी को अपनी शायरी का विषय बनाया। कहा-सूरज का ऐसा है करम, टूट गया एसी का भरम/रुख पे पसीना हो जैसे, फूल के चेहरे पर शबनम। विभु सागर की कविता काफी सरही गई-’जैसे टिविया में लागे रिमोट हो/बीवी खातिर नोट लागे हो।’ वरिष्ठ कवि अशोक श्रीवास्तव ‘कुमुद’ ने कहा-‘ क्यूं शमीमे इश्क़ भीनी, भूल दिल पाता कहां/इश्क़ की तासीर ऐसी, चैन दिल को आता कहां।’

मासूम रज़ा राशदी ने नेय अंदाज़ में शेर पेश किया- शुक्र को बूटी जड़ी मेहनत की और मां की दुआ/जानता हूं बस यही नुस्ख़ा शिफ़ा देगाा मुझे।’ इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी की ग़ज़ल खूब सराही गई-झूठो की हुकूमत है हर सू/सच्चों की सदारत कौन करे। सब जानता है लेकिन चुप है/अब सच हिफ़ाज़त कौन करे।’ अनिल मानव ने कहा-‘लड़कपन से लेकर बुढ़ाई की बातें/ कि भाई समझता है भाई की बातें।’ शिवाजी यादव ने कहा-‘जननी की जग में भले, करे काम निस्वार्थ/ बाकी जग में जो करे, रखते है बे स्वार्थ।’

प्रभाशंकर प्रयागी की शायरी खूब सराही गई-बाधाओं से वे डरे जिन्हें सड़कों की आदत है/हमें तो लांधकर पर्वत शिखर के पार जाना है।’ युवा कवि धीरेंद्र सिंह नागा ने कहा- काटों से ज़्यादा भंवरे प्यार करते हैं/दुश्मनों से ज्यादा दोस्त वार करते हैं।’

इनके अलावा अजीत शर्मा ‘आकाश’, फ़रमूद इलाहाबादी, कमल किशोर कमल, गीता सिंह, डॉ. राकेश मालवीय ‘मुस्कान’ आदि ने भी कलाम पेश किया। अंत में कार्यक्रम के संयोजक राजेश कुमार वर्मा ने सबके प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

Anveshi India Bureau

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