Friday, September 13, 2024
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Narendra Giri Death Case : आनंद गिरि को चित्रकूट से जबलपुर जेल भेजने की याचिका पर यूपी सरकार को नोटिस

जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण और विपिन नायर की दलीलें सुनने के बाद यूपी सरकार और मामले की जांच करने वाली सीबीआई को नोटिस जारी किया।

सुप्रीम कोर्ट ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित योग गुरु होने का दावा करने वाले आनंद गिरि की उस याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश की चित्रकूट जेल से मध्य प्रदेश की जबलपुर जेल में स्थानांतरित करने की मांग की है। गिरी का कहना है कि उसे जान का खतरा है।

गिरि, जिन्हें पहले अशोक कुमार चोटिया के नाम से जाना जाता था, 20 सितंबर, 2021 को प्रयागराज में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (श्री बड़े हनुमान जी) मंदिर के अध्यक्ष और बाघंबरी गद्दी के महंत नरेंद्र गिरि महाराज को आत्महत्या के लिए उकसाने से जुड़े मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं। याचिकाकर्ता, जिसने मृतक के ”संन्यास” के बाद उसका पुत्र होने का दावा किया था, को 20 सितंबर, 2021 को हरिद्वार से गिरफ्तार किया गया था।

जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण और विपिन नायर की दलीलें सुनने के बाद यूपी सरकार और मामले की जांच करने वाली सीबीआई को नोटिस जारी किया। अपनी रिट याचिका में याचिकाकर्ता ने दावा किया कि वह चित्रकूट की जेल में खूंखार अपराधियों के साथ बंद है और उसे वहां अपनी जान को गंभीर खतरा या गंभीर शारीरिक नुकसान होने की आशंका है।

झूठा मामला दर्ज करने की साजिश रची जा रही

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि कुछ लोगों ने उसके खिलाफ झूठा मामला दर्ज करने के लिए आपराधिक साजिश रची। उसे पता चला कि भू-माफिया, जिनमें राजनेता, प्रभावशाली लोग, अधिकारी आदि शामिल हैं, ने बाघंबरी गद्दी और हनुमान मंदिर की जमीन की बिक्री से अनुचित लाभ उठाया और उसने इस संबंध में समय-समय पर खुलासे किए। यह भी आरोप लगाया है कि उसे अपनी पसंद का वकील देने या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं के माध्यम से अदालत में पेश होने से मना करके मामले में निष्पक्ष सुनवाई से वंचित किया गया है।
नैनी जेल में दुर्व्यवहार की शिकायत के बाद खतरनाक अपराधी घोषित किया गया
याचिकाकर्ता ने कहा है कि उसे पहले इलाहाबाद की नैनी सेंट्रल जेल में रखा गया था लेकिन जब उसने दुर्व्यवहार की शिकायत की तो उसे खतरनाक अपराधी घोषित कर दिया गया और एक साल की कैद के बाद उसे चित्रकूट जेल में स्थानांतरित कर दिया गया। याचिका में दावा किया गया है कि उसने चित्रकूट जेल में अपने साथ हो रहे दुर्व्यवहार और जान को खतरे के बारे में जिला अदालत को कई पत्र लिखे लेकिन इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई।
ट्रायल कोर्ट व जेल अधिकारी कानून विपरीत काम कर रहे
याचिका में आरोप लगाया गया कि ट्रायल कोर्ट और जेल ऑथोरिटी दोनों ही कानून के विपरीत अनुचित तरीके से काम कर रहे हैं। मामले में मनमानी इस हद तक है कि ट्रायल को दिखावा बना दिया गया है। हालांकि याचिकाकर्ता का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, लेकिन उसे कुख्यात अपराधियों की श्रेणी में रखा गया है, जो आवेदक के साथ अन्याय है और ऐसा उसे उसके संवैधानिक अधिकारों से वंचित करने के लिए किया गया है।
Courtsy amarujala.com
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