देश आज 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दीं। पीएम ने गुरुवार को ध्वजारोहण किया और लाल किले से राष्ट्र के नाम अपना लगातार 11वां भाषण दिया। इस साल के उत्सव का विषय, ‘विकसित भारत@2047’ है, जिसका लक्ष्य देश को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में आगे बढ़ाना है। आइए पीएम मोदी के राजघाट से लेकर लाल किले और फिर उसके बाद उनके दमदार संबोधन तक की सारी बातें जानते हैं।
लाल किला पहुंचने से पहले पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजघाट पहुंचे।
राजघाट के बाद लाल किले पर पहुंचे पीएम मोदी
इसके बाद, 78वें स्वतंत्रता दिवस के जश्न के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किला पहुंचे।
सैन्य अधिकारियों की मौजूदगी में शुरू हुआ समारोह
लाल किले पर समारोह की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी के वरिष्ठ सरकारी और सैन्य अधिकारियों द्वारा अगवानी के साथ हुई। वहीं, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी देश के 78वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होने के लिए लाल किला पहुंचे थे।
गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किला पहुंचने के बाद गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया गया। इसका समन्वय इस वर्ष भारतीय नौसेना की तरफ से किया गया।
जवानों ने 21 तोपों की सलामी दी
पीएम मोदी जब झंडा फहराने के लिए प्राचीर की तरफ बढ़े, तब स्वदेशी 105 एमएम लाइट फील्ड गन से जवानों ने 21 तोपों की सलामी दी।
छह हजार से अधिक खास मेहमानों को भेजा था न्योता
78वें स्वतंत्रता दिवस के समारोह में करीब 6000 खास मेहमानों को आमंत्रित किया गया था। लाल किले में प्रवेश करते समय पीएम मोदी ने छात्रों से मुलाकात भी की।
11वीं बार पीएम मोदी ने ध्वजारोहण किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 78वें स्वतंत्रता दिवस पर गुरुवार को लालकिले पर तिरंगा फहराया। पंडित नेहरू (17 बार) और इंदिरा गांधी (16 बार) के बाद सबसे ज्यादा 11 बार झंडा फहराने वाले तीसरे पीएम हैं।
आजीवन संघर्ष करने वाले जवानों को नमन करने का पर्व
ध्वजारोहण के बाद पीएम मोदी ने देश को लाल किले के प्राचीर से लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आज शुभ घड़ी है। देश के लिए मर मिटने वाले और अपना जीव समर्पित करने वाले और आजीवन संघर्ष करने वाले जवानों को नमन करने का पर्व है।
पीएम मोदी लोगों और बच्चों से मिलते नजर आए। पीएम ने इस बार नारंगी, पीले और हरे रंग के कॉम्बिनेशन की पगड़ी पहनी। 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद स्वतंत्रता दिवस पर उन्होंने राजस्थानी पगड़ी ही पहनी थी। लहरिया प्रिंट की कहानी राजस्थान की रेत से जुड़ी हुई है। राजस्थान के पश्चिमी इलाकों के रेगिस्तानी रेत पर बहने वाली हवा से डायगोनल पैटर्न (लहर) बन जाते हैं। लहरिया प्रिंट इन्हीं पैटर्न से प्रेरित माना जाता है। यह एक पारंपरिक कपड़ा टाई एंड डाई प्रिंट टेक्नीक है, जिसमें खूबसूरत रंगों का कॉम्बिनेशन होता है।