Saturday, December 21, 2024
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प्रयागराज : विरासत को आगे न बढ़ा पाई मांडा की हवेली, वीपी सिंह के बाद परिवार का कोई सदस्य नहीं जमा पाया पैर

वीपी सिंह मांडा राजघराने से ताल्लुक रखते थे। पुराने लोग उन्हें राजा मांडा ही कहा करते थे। हालांकि, उनका राजनीतिक जीवन राज वैभव से जुदा रहा। तभी तो उनके लिए नारा गढ़ा गया- राजा नहीं फकीर है, भारत की तकदीर है। शुरुआत से लेकर राजनीतिक अवसान तक भ्रष्टाचार को उन्होंने मुद्दा बनाए रखा।

मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू कर सामाजिक ताने-बाने में उथल-पुथल मचाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के बाद उनके परिवार का कोई चेहरा राजनीति में उभर न पाया। विरासत में मिली राजनैतिक हैसियत के दम पर उनके पुत्र अजय सिंह एक बार फतेहपुर संसदीय क्षेत्र से मैदान में उतरे तो नतीजा बेहद निराशाजनक रहा।

वीपी सिंह मांडा राजघराने से ताल्लुक रखते थे। पुराने लोग उन्हें राजा मांडा ही कहा करते थे। हालांकि, उनका राजनीतिक जीवन राज वैभव से जुदा रहा। तभी तो उनके लिए नारा गढ़ा गया- राजा नहीं फकीर है, भारत की तकदीर है। शुरुआत से लेकर राजनीतिक अवसान तक भ्रष्टाचार को उन्होंने मुद्दा बनाए रखा।

कहना गलत न होगा कि 1990 में मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू होने के बाद दलित और पिछड़ा वर्ग में जो उभार आया, उसके पीछे वीपी सिंह का बड़ा हाथ है। ये अलग बात है कि बाद में क्षेत्रीय पार्टियों ने इसे कैश कर अपना राजनीतिक आधार बना लिया और वीपी हाशिये पर चले गए।

दिवाकर विक्रम ने भाजपा से मांगा था टिकट

चतुर-सुजान राजनीतिज्ञ के जाने बाद उनके परिवार के सदस्य राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं। वीपी सिंह के बेटे अजय सिंह ने 2009 में फतेहपुर से जन मोर्चा पार्टी से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। वह चुनाव नहीं लड़ रहे हैं…विपक्षियों की इस अफवाह को खारिज करने में अजय असफल रहे। नतीजा यह रहा कि उनके वोट सपा के राकेश सचान झटक ले गए। उन्हें बहुत ही कम मत मिले थे।

अजय के बाद अब वीपी सिंह के भाई कुंवर हरिबक्श सिंह के पोते दिवाकर विक्रम सिंह हाथ-पांव मार रहे हैं। बकौल दिवाकर, क्षेत्र पिछड़ा हुआ है। लोगों को उनसे बड़ी उम्मीदें हैं। वर्ष 2019 में तैयारी पूरी न होने कारण चुनाव नहीं लड़ा। इस बार उन्होंने भाजपा से टिकट भी मांगा था। फिलहाल, राजनीतिक पार्टियों को भी मांडा स्टेट से कोई लाभ नजर नहीं आता। इसलिए दूरी बना रखी है।

तो ऐसे बने थे वीपी मुख्यमंत्री

वीपी सिंह के करीबी रहे मांडा के पूर्व ब्लॉक प्रमुख मंगल देव द्विवेदी बताते हैं कि सन् अस्सी में कांग्रेस विधायक दल का नेता चुनने के लिए संजय गांधी ने वीपी सिंह, धर्मवीर और जगदीश टाइटलर को स्पेशल प्लेन से उत्तर प्रदेश भेजा था। धर्मवीर ने प्रस्ताव रखा कि संजय गांधी को मुख्यमंत्री बनाया जाए। प्रस्ताव अनुमोदित होने के बाद तीनों नेता दिल्ली पहुंचे। धर्मवीर एक माला लेकर गए थे।

संजय गांधी को फैसला मालूम चल गया था। फिर भी उन्होंने पूछा कि किसे चुना। धर्मवीर ने बताया कि विधायकों ने आपको मुख्यमंत्री के रूप में चुना है। संजय ने कतार में पीछे खड़े वीपी सिंह को बुलाया और कहा कि इसी प्लेन से वापस जाइए। राज्यपाल से कहिए कि शपथ की तैयारी करें। आप (वीपी सिंह) मुख्यमंत्री होंगे।

Courtsyamarujala.com
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