सिफरी के निदेशक डा. बीके दास के निर्देशन में पांच सदस्यीय टीम ने 2021 में यमुना नदी का सर्वे शुरू किया। मछलियों की प्रजातियों को जानने के लिए प्रयागराज के मड़ौका, बांदा के चिल्लाघाट, हमीरपुर, पचनदा, मथुरा, दिल्ली, हरियाणा के यमुना नगर और उत्तरकाशी के बरकोट से वर्ष में तीन बार मछलियों के सैंपल लेते थे।
यमुनोत्री से शुरू होकर प्रयागराज तक 1368 किलोमीटर लंबी नदी यमुना में 126 प्रजाति की मछलियां रहती हैं। केंद्रीय अंतर्स्थलीय मत्स्य अनुसंधान केंद्र (सिफरी) प्रयागराज की ओर से पहली बार पूरी यमुना नदी में मछलियों की प्रजाति का सर्वे किया गया। पांच सदस्यीय टीम ने तीन वर्ष के सर्वे में पाया कि पर्यावरणीय बदलाव का असर मछलियों पर पड़ा है। यमुना में भारतीय प्रजाति की मछलियों की आबादी कम हुई है, जबकि विदेशी प्रजाति की मछलियां बढ़ी हैं।
सिफरी के निदेशक डा. बीके दास के निर्देशन में पांच सदस्यीय टीम ने 2021 में यमुना नदी का सर्वे शुरू किया। मछलियों की प्रजातियों को जानने के लिए प्रयागराज के मड़ौका, बांदा के चिल्लाघाट, हमीरपुर, पचनदा, मथुरा, दिल्ली, हरियाणा के यमुना नगर और उत्तरकाशी के बरकोट से वर्ष में तीन बार मछलियों के सैंपल लेते थे। इसमें मछुआरों से भी मदद ली। इसी वर्ष सर्वे पूरा हो गया है। टीम के प्रिंसिपल इनवेस्टिगेटर व केंद्र प्रभारी डा. डीएन झा ने बताया कि पूरी यमुना का पहली बार सर्वे हुआ था।
2010-11 में प्रयागराज से हरियाणा तक ही सर्वे हुआ था, तब मछलियों की 112 प्रजातियां पाई गई थी। अब यमुना के उद्गम स्थल तक सर्वे हुआ तो 126 प्रजातियां मिली हैं। उन्होंने बताया कि यमुना में भारतीय प्रजाति की मछलियों कतला, रोहू, नयन, पड़िन, गोंच, चीतल, रेंगन, रीठा, बामचर या ईल (बांदा में इसे कालिंद कहते हैं), महासिर आदि की आबादी में कमी आई है।
कैसे आई विदेश मछलियां
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