Friday, September 13, 2024
spot_img
HomePrayagrajShri Krishna Janmashtami : द्वापर जैसा मिलेगा जन्माष्टमी पर योग, मंगलवार रात्रि...

Shri Krishna Janmashtami : द्वापर जैसा मिलेगा जन्माष्टमी पर योग, मंगलवार रात्रि 2.20 बजे तक है अष्टमी

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार अद्भुद संयोग मिल रहा है। यह योग द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के दौरान बने योग से काफी मिल रहे हैं। संगमनगरी में जन्माष्टमी की चारों तरफ धूम है। प्रतापगढ़ के मनगढ़ स्थित भक्तिधाम मंदिर से लेकर प्रयागराज में इस्कॉन मंदिर, रूप गौड़ीय मठ सहित विभिन्न मंदिरों में आकर्षक झांकियां सजाई गई हैं।

इस बार कृष्ण जन्माष्टमी पर द्वापर जैसा योग है। रोहिणी नक्षत्र में सर्वार्थ सिद्धियोग के बीच भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव होगा। सोमवार की सुबह 3:40 बजे से लेकर मंगलवार की रात 2:20 बजे तक अष्टमी है।जन्माष्टमी पर चंद्रमा वृषभ राशि में रहेंगे। ऐसा ही संयोग भगवान कृष्ण के जन्म के समय भी बना था।

अष्टमी तिथि सोमवार की भोर में 3:41 बजे लग जाएगी। 27 अगस्त की रात 2:22 तक अष्टमी है। इस बार जन्माष्टमी पर्व पर सर्वार्थ सिद्धि योगबन रहा है। चंद्रमा अपनी उच्च राशि में रहकर गुरु तथा मंगल के साथ गज केसरी योग और महालक्ष्मी योग बना रहे हैं।

पूजा विधि

ज्योतिषाचार्य डॉ. ब्रजेंद्र मिश्र के अनुसार दिन जल्दी उठकर स्नान के बाद घर और मंदिर की सफाई करें। उपवास का संकल्प लें और एक साफ चौकी पर पीले रंग का धुला हुआ वस्त्र बिछा लें। इसके बाद देवी- देवताओं का जलाभिषेक करें और चौकी पर लड्डू गोपाल की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान श्रीकृष्ण को रोली, कुमकुम, अक्षत, पीले पुष्प, अर्पित करें। पूरे दिन घी की अखंड ज्योति जलाएं। उन्हें लड्डू और उनके पसंदीदा वस्तुओं का भोग लगाएं। बाल गोपाल की अपने पुत्र की भांति सेवा करें।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी को रात्रि पूजा का विशेष महत्व होता है क्योंकि श्री कृष्ण का जन्म मध्य रात्रि में हुआ था। ऐसे में मध्यरात्रि में भगवान कृष्ण की विशेष पूजा अर्चना करें बाल गोपाल को झूले में बिठाएं। उन्हें झूला झुलाएं भगवान कृष्ण को मिश्री, घी, माखन, खीर, पंजीरी का भोग लगाएं। घी के दीपक से आरती कर प्रसाद वितरित करें।

जन्माष्टमी पर उपवास का है विशेष फल
मान्यता है कि इस दिन उपवास रखने से वर्ष में होने वाले कई अन्य उपवासों का फल मिल जाता है। भगवान विष्णु के आठवें अवतार कहे जाने वाले कृष्ण के दर्शन मात्र से ही मनुष्य के सभी दुख दूर हो जाते हैं। जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से इस व्रत का पालन करते हैं, उन्हें महापुण्य की प्राप्ति होती है। जन्माष्टमी का उपवास संतान प्राप्ति, सुख-समृद्धि, वंश वृद्धि, दीर्घायु और पितृ दोष आदि से मुक्ति के लिए भी एक अहम व्रत है। जिन जातकों का चंद्रमा कमजोर हो, वे भी जन्माष्टमी पर विशेष पूजा कर के लाभ पा सकते हैं।
Courtsy amarujala.com
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments