मेसर्स आधार हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड की ओर से सरफेसी एक्ट के तहत कर्जदार के मकान का कब्जा हासिल करने के लिए सीजेएम की अदालत में अर्जी दाखिल कर पुलिस बल की मांग की थी। इस अर्जी पर सीजेएम ने दिल्ली के अधिवक्ता को रिसीवर नियुक्त कर दिया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरफेसी एक्ट के तहत मथुरा की विवादित संपत्ति पर दिल्ली के वकीलों को रिसीवर नियुक्त करने वाले सीजेएम से पूछा है कि वकील ने उनकी अदालत में कितने मुकदमे दायर किए हैं, जिसके आधार पर उन्होंने इनकी योग्यता का आकलन किया। यह तल्ख सवाल न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूृर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने सीजेएम (मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, मथुरा) की ओर से कोर्ट में पेश उस स्पष्टीकरण पर किया है, जिसमें उन्होंने अपने आदेश को उचित ठहराया है।
मेसर्स आधार हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड की ओर से सरफेसी एक्ट के तहत कर्जदार के मकान का कब्जा हासिल करने के लिए सीजेएम की अदालत में अर्जी दाखिल कर पुलिस बल की मांग की थी। इस अर्जी पर सीजेएम ने दिल्ली के अधिवक्ता को रिसीवर नियुक्त कर दिया। इसके खिलाफ कंपनी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कंपनी के अधिवक्ता आशुतोष शर्मा व नितेश कुमार जौहरी ने बताया कि मथुरा की विवादित संपत्ति पर दिल्ली के वकील को रिसीवर बनाया गया है। इनकी लापरवाही के कारण कंपनी को विवादित संपत्ति पर अब तक कब्जा नहीं मिल सका है।
इसपर हाईकोर्ट ने सीजेएम मथुरा से स्पष्टीकरण तलब किया। कोर्ट को भेजे स्पष्टीकरण में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट उत्सव गौरव राज ने बताया कि रिसीवर बनाए गए दिल्ली के वकील सरफेसी एक्ट के तहत वित्तीय संस्थानों से जुड़े मामलों के जानकार हैं। उनकी योग्यता और अनुभव के आधार पर ही उन्हें नियुक्त किया गया है। इसपर कोर्ट ने 30 मई तक सीजेएम को यह बताने का निर्देश दिया है कि वकील ने उनकी अदालत में कितने मुकदमों का निस्तारण करवाया है, जिससे उनकी योग्यता का आकलन कर उन्हें रिसीवर नियुक्त किया। कोर्ट ने रजिस्ट्रार (अनुपालन) को आदेश की जानकारी सीजेएम को 48 घंटे में प्रेषित करने को निर्देश दिया है।
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