Saturday, December 14, 2024
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चैत्र नवरात्रि : देवी मंदिरों में मां का भव्य श्रृंगार, एक झलक पाने को आतुर रहे श्रद्धालु

अलोपीबाग स्थित सिद्धपीठ अलोपशंकरी मंदिर में देवी के दर्शन के साथ ही निशान चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। यहां नवविवाहित जोड़ों ने मंदिर में दर्शन, पूजन करके आशीर्वाद मांगा।

चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन प्रयागराज के देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। दर्शन, पूजन के लिए भोर से ही श्रद्धालुओं का जुटना शुरू हो गया। रात तक मंदिरों में दर्शन पूजन का दौर चला। भक्तों ने घरों में भी पूजा-अर्चन की। तमाम घरों में लोगों ने दुर्गा सप्तशती का पाठ किया। तीसरे दिन मंदिरों में मां के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा देवी की आराधना की गई। घंटा और घड़ियाल की गूंज से पूरा वातावरण देवीमय रहा। जयकारों के बीच लोगों में मां के दरबार में शीश झुकाया। नारिलय, पुष्प, माला, फल, नैवेद्य, मेवा आदि का भोग लगाया।

मीरापुर स्थित महाशक्ति ललिता देवी मंदिर में देवी के ब्रह्मचारिणी स्वरूप में फूलों और आभूषणों से श्रृंगार किया गया। यहां देवी के  दर्शन के लिए शाम को लोगों की लंबी कतार लग गई। गर्भगृह से लेकर मंदिर के बाहर तक की सजावट देखने लायक रही। यहां दुर्गा सप्तशती पाठ, शतचंडी महायज्ञ, अनुष्ठान आदि हुए। प्रात:काल मंगला आरती के बाद प्रसाद का भी वितरण हुआ। इसी तरह सिद्धपीठ कल्याणी देवी मंदिर में देवी कल्याणी के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं विशेषकर महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ी।

Chaitra Navratri: Grand adornment of Mother Goddess in Devi temples, devotees are eager to get a glimpse

आलोपी बाग में श्रद्धालुओं का लगा तांता

अलोपीबाग स्थित सिद्धपीठ अलोपशंकरी मंदिर में देवी के दर्शन के साथ ही निशान चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। यहां नवविवाहित जोड़ों ने मंदिर में दर्शन, पूजन करके आशीर्वाद मांगा। इसी तरह मुट्ठीगंज स्थित कालीबाड़ी समेत शहर के अन्य देवी मंदिरों में मां के दर्शन एवं पूजन के लिए लोगों की भीड़ जमा रही। तमाम मंदिरों के पास लगी दुकानों से ही लोगों ने लाल चुनरिया, नारियल सहित पूजन सामग्री और माला-फूल आदि की खरीदारी की।
अलोपशंकरी में होती है मां के पालने के पूजा

शक्तिपीठ अलोप शंकरी में तो भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी हुई है। समूची दुनिया में यह इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां देवी की कोई मूर्ति नहीं है और श्रद्धालु एक पालने की पूजा करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक़ शिवप्रिया सती के दाहिने हाथ की उंगलियां यहां गिरकर अलोप यानी अदृश्य हो गई थीं, इसलिए यहां देवी के पालने की पूजा की जाती है। यही वजह है कि शारदीय नवरात्रि के मौके बड़ी संख्या में भक्त देवी मां के दर्शन पूजन के लिए जुटते हैं।

 

Courtsyamarujala.com

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