जानसेनगंज में 100 साल पुरानी पीएन विश्वास एंड कंपनी के मालिक वरुण डे बताते हैं, शहर में 20 से अधिक दुकानें हैं। लाइसेंस धारक की मृत्यु के बाद दो महीने में किसी भी दुकान पर शस्त्र जमा कराने का नियम है। अनुमान है कि हर दुकान पर एक हजार से अधिक शस्त्र जमा हैं।
रसूखदार लोगों के लिए शस्त्र हमेशा शानो-शाैकत का मामला रहा है। शादी ब्याह से लेकर अन्य मौकों पर ताकत के रूप में शस्त्रों का प्रदर्शन भी खूब हुआ है। लेकिन, सख्ती के बाद स्थितियां बदल गई हैं। यहां करीब 15 हजार से ज्यादा लाइसेंसी रहे शस्त्र यहां दुकानों में जमा हैं। वर्षों से इन्हें कोई लेने भी नहीं आया। लाइसेंस धारकों की मृत्यु के बाद वरासत के लाइसेंस लेने की प्रक्रिया बेहद जटिल बना देने से यह स्थिति पैदा हो गई है।
जानसेनगंज में 100 साल पुरानी पीएन विश्वास एंड कंपनी के मालिक वरुण डे बताते हैं, शहर में 20 से अधिक दुकानें हैं। लाइसेंस धारक की मृत्यु के बाद दो महीने में किसी भी दुकान पर शस्त्र जमा कराने का नियम है। अनुमान है कि हर दुकान पर एक हजार से अधिक शस्त्र जमा हैं। दुकान में शस्त्र रखने का प्रतिमाह शुल्क तीन साै रुपये निर्धारित है, लेकिन शस्त्र जमा कराने वाले न किराया देते हैं और न ही इसे ले जा रहे हैं। इनकी हर महीने सर्विस भी की जाती है। ऑडिट में इन शस्त्रों के कागजात और शस्त्र दिखाने पड़ते हैं।
15 साल से नहीं ले गए शस्त्र