Saturday, September 14, 2024
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खेल दिवस पर विशेष : राज्य सरकार की गोद में कुश्ती ‘चित’; स्टेडियम में खिलाड़ियों के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं

अगस्त-2021 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में कुश्ती और एक अन्य खेल को 10 वर्ष के लिए गोद लेने की घोषणा की थी। कुश्ती के अलावा एक खेल का चयन विभाग को करना था। सरकार की ओर से इन खेलों के लिए वित्तीय सहायता मुहैया कराने का एलान किया गया था।

मुख्यमंत्री के कुश्ती को गोद लेने की घोषणा के बाद व्यवस्थाएं चित हो गईं। मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में इस समय खिलाड़ी प्रशिक्षण लेने आ रहे हैं, लेकिन उनके लिए ऐसी सुविधाएं नहीं हैं जो उनको ओलंपिक का टिकट दिलाने के लिए तैयार कर सके। यहां तक कि विभाग के अफसरों को भी पता नहीं है कि कुश्ती को राज्य सरकार की ओर से गोद लिया गया है।

अगस्त-2021 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में कुश्ती और एक अन्य खेल को 10 वर्ष के लिए गोद लेने की घोषणा की थी। कुश्ती के अलावा एक खेल का चयन विभाग को करना था। सरकार की ओर से इन खेलों के लिए वित्तीय सहायता मुहैया कराने का एलान किया गया था। सीएम की घोषणा के बाद स्टेडियम में करीब 19 माह तक कुश्ती का कोच भी नहीं था। एक अप्रैल 2023 में कोच की नियुक्ति की गई। इस समय स्टेडियम में 40 खिलाड़ी कुश्ती के दांव पेच सीखने आते हैं।

ऐसा है सुविधाओं का हाल

संगमनगरी में कुश्ती की सुविधाओं का हाल-बेहाल है। पहले यहां मैदान में मिट्टी पर कुश्ती का अभ्यास खिलाड़ी करते थे। लिखापढ़ी के बाद मैट मंगाई गई। फिलहाल, डमी, बुलगेरियन बैग, रस्सा, कोन लेडर, मार्कर का अब भी अभाव है।

 

मौसम की चाल पर निर्भर होता है अभ्यास

स्टेडियम में खिलाड़ी खुले मैदान में कुश्ती का अभ्यास करते हैं। इंडोर हॉल न होने की वजह से मौसम की मार खिलाड़ियों को झेलनी पड़ती है। मौसम ठीक रहता है तो खिलाड़ी अभ्यास करते हैं। बारिश होने पर अभ्यास प्रभावित हो जाता है।

कुश्ती काे राज्य सरकार द्वारा गोद लिए जाने की जानकारी मुझे नहीं है। कुश्ती के अभ्यास के लिए संसाधन हैं। कुछ संसाधनों के लिए शासन को पत्र भेजा गया है। – विमला सिंह, क्षेत्रीय खेल अधिकारी

हर रोज कटका झूंसी से यहां अभ्यास करने आता हूं। खुले मैदान की वजह से अभ्यास प्रभावित होता है। कुश्ती हॉल की व्यवस्था हो जाए तो मौसम की वजह से खेल प्रभावित नहीं होगा। – विजय यादव, खिलाड़ी

बड़ी मुश्किल के बाद कुश्ती मिट्टी से मैट पर आई, लेकिन अब भी कुछ संसाधनों के अभाव में हम पदक से चूक रहे हैं। थोड़ी और सुविधाएं मिल जाए तो राष्ट्रीय स्तर पर शहर का नाम रोशन करुंगा। – कुलदीप यादव, खिलाड़ी

 

 

Courtsy amarujala.com

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