इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आयोजित पुरा छात्र सम्मेलन के दौरान रविवार को कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें जाने माने कवि कुमार विश्वास पहुंचे। उन्होंने अपने चिर परचित अंदाज में गीत और गजल प्रस्तुत कर लोगों को झूमने के लिए मजबूर कर दिया।
ये दिल बर्बाद करके इसमें क्यों आबाद रहते हो, कोई कल कह रहा था तुम इलाहाबाद रहते हो। ये कैसी शोहरतें मुझको अता कर दीं मेरे मौला, मैं सबकुछ भूल जाता हूं, मगर तुम याद रहते हो।’ इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पुरा छात्र सम्मेलन के दौरान रविवार को आयोजित कवि सम्मेलन में कुमार विश्वास ने जैसे ही ये पंक्तियां पढ़ीं, परिसर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
कुमार विश्वास अपने चिर परिचित अंदाज में श्रोताओं को गुदगुदाते रहे और बीच-बीच में उन्होंने खिलखिलाकर हंसने को मजबूर भी किया। उन्होंने ‘तुमको सूचित हो’ शीर्षक से कविता पढ़ी, जिसे खूब वाहवाही मिली। दीक्षांत ग्राउंड पर श्रोताओं की तालियों का शोर थमने का नाम नहीं ले रहा था। उन्होंने सुनाया, यशस्वी सूर्य अंबर चढ़ रहा है तुम को सूचित हो, विजय का रथ सुपथ पर बढ़ रहा है तुमको सूचित हो, अवाचित पत्र मेरे जो तुमने कभी खोले नहीं तुमने, समूचा विश्व उनको पढ़ रहा है तुमको सूचित हो।’
इसके साथ ही उन्होंने अपनी कई मशहूर कविताएं सुनाईं। इसे पूर्व कहा कि जब इविवि परिसर में उन्होंने प्रवेश किया तो उन्हें अलग स्पंदन हुआ। विश्वास नहीं हुआ कि कभी इसी परिसर में फिराक घूमते रहे होंगे, हरिवंश घूमते रहे होंगे, मालवीय पढ़ने आए होंगे। कहा, भारत में पहले पांच सांस्कृतिक शहर ढूंढ़े जाएं तो इलाहाबाद भी इसमें आता है। यह मेरा और आपका सौभाग्य है।
बड़ी संख्या में लोगों ने लिया हिस्सा
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