Wednesday, October 9, 2024
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मेडिकल कॉफ्रेंस में बोले विशेषज्ञ : खून आने का मतलब पाइल्स नहीं, कैंसर भी हो सकता है

मोती लाल नेहरु मेडिकल कॉलेज परिसर में पाइल्स, फिस्टुला पिलोनाइडल साइनस एवं एनोरेक्टल रीजन की अन्य बीमारियों के रोकथाम और इलाज को लेकर पांच दिवसीय फेलोशिप कोर्स के पहले दिन बड़ी आंत के कैंसर पर चर्चा हुई। एसोसिएशन ऑफ कोलोरेक्टल सर्जन ऑफ इंडिया, एसोसिएशन सर्जन ऑफ इंडिया के उत्तर प्रदेश चैप्टर, इलाहाबाद सर्जन एसोसिएशन एवं सर्जरी की तरफ से चल रहे कोर्स में पूरे देश से करीब 150 चिकित्सकों ने प्रतिभाग किया।

गुदा द्वार से खून का आना पाइल्स ही नहीं होता है, बल्कि यह कैंसर भी हो सकता है। अक्सर ग्रामीण क्षेत्र के लोग झोल छाप डॉक्टरों को दिखाने पहुंच जाते हैं। जहां पर उन्हें पाइल्स की दवा दी जाती है। मगर कुछ समय के बाद जब पता चलता है कि यह पाइल्स नहीं कैंसर है, तब तक देर हो चुकी होती है। यह बातें बुधवार को मोती लाल नेहरु मेडिकल कॉलेज परिसर में आयोजित फेलोशिप कोर्स के दौरान डॉ. कुशल मित्तल ने कही।

मोती लाल नेहरु मेडिकल कॉलेज परिसर में पाइल्स, फिस्टुला पिलोनाइडल साइनस एवं एनोरेक्टल रीजन की अन्य बीमारियों के रोकथाम और इलाज को लेकर पांच दिवसीय फेलोशिप कोर्स के पहले दिन बड़ी आंत के कैंसर पर चर्चा हुई। एसोसिएशन ऑफ कोलोरेक्टल सर्जन ऑफ इंडिया, एसोसिएशन सर्जन ऑफ इंडिया के उत्तर प्रदेश चैप्टर, इलाहाबाद सर्जन एसोसिएशन एवं सर्जरी की तरफ से चल रहे कोर्स में पूरे देश से करीब 150 चिकित्सकों ने प्रतिभाग किया।

इस कोर्स के तहत तीन दिनों तक सर्जन को प्रशिक्षण दिया जायेगा। इसके बाद छह व सात अप्रैल को उनकी परीक्षा होगी। वहीं पहले दिन छह सेशन में व्याख्यान हुआ। जिसमें कीमो थेरेपी, बड़ी आंत से खून का रिसाव होना, आंतों का कैंसर लीवर व पेट में फैलना, दूरबीन विधि एवं स्टेपलर से आंतों के कैंसर का उपचार, बड़ी आंत की चोट का उपचार, आंतों को जोड़ने स्टेपलर की भूमिका सहित कई अन्य बिंदुओं पर जानकारी दी गई। इस अवसर पर डॉ. प्रबाल नियोगी, डॉ. अशोक अग्रवाल, डॉ. संजय सिंह, डॉ. वैभव श्रीवास्तव व डॉ. संतोष सिंह मौजूद रहे।

क्या बोले चिकित्सक

वर्तमान में कैंसर की समस्या काफी बढ़ी है। लोगों को पाइल्स और कैंसर में अंतर नहीं समझ में आता। ऐसे में चिकित्सकों को इस संबंध पूर्ण जानकारी होना बेहद जरुरी है। अगर शुरुआत में ही कैंसर का पता चल जाये, तो मरीज को समय रहते ठीक किया जा सकता है। – डॉ. कुशल मित्तल, प्रसिडेंट इलेक्ट, एसोसिएशन ऑफ कोलोरेक्टल सर्जन ऑफ इंडिया, मुम्बई।

बड़ी आंत के कैंसर से बचने के लिए खान-पान और नियमित दिनचर्या का होना बहुत जरुरी है। लोगों को चाहिए कि वह सुबह के समय व्यायाम जरुर करें। तीखी व चटपटी चीजें कम खाएं, खान में फाइबर जैसे टमाटर, ककड़ी, पालक चुकंदर जरुर लें। बेकरी की चीजें खाने से परहेज करें। पानी का शरीर में संतुलित मात्रा में होना जरुरी है। अगर कोई इंसान दिन में छह से सात बार यूरीन कर रहा है, तो वह स्वस्थ है। यह मायने नहीं रखता कि हमने दो लीटर पानी पिया कि चार लीटर पानी पिया। – डॉ. अतुल देश पांडेय, औरंगाबाद।

 

Courtsyamarujala.com

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