इलाहाबाद शहर उत्तरी: भाजपा के गढ़ शहर उत्तरी विधानसभा क्षेत्र में साइकिल भी खूब दौड़ी। यहां भाजपा और सपा के बीच सीधी लड़ाई दिखी। जीत-हार का आकलन करना दोनों ही दलों के लिए मुश्किल हो गया है। मतदाताओं की बेरुखी के बीच बसपा भी खामोश दिखी। बख्तियारी समेत एक-दो जगहों पर ही बसपा का बस्ता लगा दिखा।
फूलपुर के अंतर्गत शहर उत्तरी से भाजपा की जीत की राह निकलने की बात कही जा रही है, लेकिन इस बार समीकरण बदले हैं। भाजपा के पक्ष में मतों का ध्रुवीकरण नहीं दिखा। ऐसे में कम मतदान से दोनों दलों की चुनौती और बढ़ गई है। सेंट एंथोनी बूथ पर मतदान देकर निकले लखन जायसवाल का कहना था कि जो दिख रहा है उसे ही वोट दिया। पास में खड़े सुयोग कहते हैं कि पहले अनाज के साथ चीनी और मिट्टी का तेलौ मिलत रहा। अउसहूं बदलाव त होत रहे के चाही।
बिशप जॉनसन कॉलेज केंद्र पर सुबह साढ़े नौ बजे सन्नाटा रहा। वोट देकर निकलीं रोली चौधरी का कहना था कि नौकरी करना कठिन हो गया है। खुद अध्यापक रोली का कहना था कि परिवार में तीन अन्य लोग सरकारी नौकरी में हैं, लेकिन वोट देने नहीं आए। उनका कहना था कि नौकरी का दबाव बढ़ गया है। ऐसे मं घर में छुट्टी का माहौल बन गया है।
कम मतदान प्रतिशत बदल सकता है परिणाम
मेरी लूकस गर्ल्स इंटर कॉलेज में भी सन्नाटा दिखा। 11:30 बजे तक दो बूथों पर 200 वोट पड़े थे। जबकि, एक बूथ पर कुल मतों की संख्या 1069 व दूसरे पर 1225 वोट हैं। वहीं, बगल के बख्तियारी स्कूल पर मतदाताओं की अपेक्षाकृत लंबी लाइन देखने को मिली। इस केंद्र के बूथ संख्या 250 पर कुल 1016 में से 200 वोट पड़े थे। वहीं, 251 बूथ पर 1157 में से 220 वोट पड़े थे। बख्तियारी प्राथमिक विद्यालय पर वोट देने पहुंचे रहमत व शकीना में मतदान को लेकर कोई दुविधा नहीं दिखी। लल्लन कुशवाहा एवं राजीव पटेल ने देश के नाम पर वोट देने की बात कही।
2019, 2022 में एकतरफा जीत, लेकिन इस बार बदले समीकरण
2019 लोकसभा चुनाव में शहर उत्तरी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने बड़े अंतर से विपक्षियों को पीछे छोड़ दिया था। भाजपा की केशरी देवी पटेल को शहर उत्तरी में 106303, सपा को 45391 और कांग्रेस को 11826 वोट मिले थे। बसपा ने सपा का समर्थन किया था। यही स्थिति 2022 के विधानसभा चुनाव में भी रही। भाजपा के हर्षवर्धन बाजपेई ने एकतरफा जीत हासिल की थी।
इस चुनाव में भाजपा को 95705 वोट मिले थे। वहीं, सपा को 41009, कांग्रेस को 23335 और बसपा को 9486 वोट मिले थे। दोनों चुनाव में भाजपा को अन्य दलों को मिलाकर कुल मत से भी अधिक वोट मिले थे। लेकिन, इस बार के समीकरण भाजपा के लिए बहुत नहीं दिखे। आमने-सामने की लड़ाई में सपा के अमरनाथ मौर्य भाजपा के प्रवीण पटेल को टक्कर देते दिखे।
मेजा विधानसभा: बिखरा दलित वोट, भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर
मेजा विधानसभा क्षेत्र में दलित वोटों में बिखराव की वजह से भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर दिखी। वहीं, उच्च जाति और अनुसूचित जाति के वोटरों में भी बिखराव देखने को मिला, जबकि यादव और मुस्लिम समाज के मतों ने कांग्रेस को मजबूती दी। दूसरी ओर, ब्राह्मण, ठाकुर और वैश्य वोटर भाजपा के साथ खड़े रहे। अनुसूचित जनजाति के वोट भी भाजपा और कांग्रेस के बीच बंटे नजर आए। यहां जातिगत समीकरणों का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखा।
डेलौहां पोलिंग बूथ के मतदाता विक्रमाजीत सिंह ने कहा कि पांच साल तक सांसद का चेहरा नहीं देखा है। हम ऐसे प्रत्याशी को चुन रहे हैं, जो हमारा नेता होगा और हमारे काम आएगा। वहीं, कामेश्वर पटेल ने कटाक्ष करते हुए कहा कि पांच किलो का राशन घर-घर पहुंच रहा है। लोग सरकार से खुश हैं। स्थानीय मतदाताओं ने बताया कि इस बार प्रधान या स्थानीय नेताओं के कहने पर नहीं लोग खुद के अनुभव के आधार पर निर्णय लेकर मतदान कर रहे हैं।
असमंजस की स्थित बनी रही
मेजा के अधिकतर पोलिंग स्टेशन पर एक पक्षीय वोटिंग दिखाई दी। जहां, जिस समुदाय के वोट अधिक थे, वहां उसी समीकरण के आधार पर वोट डाले गए। हालांकि, जो पोलिंग बूथ परंपरागत भाजपा-सपा की थी, वहां पर ज्यादा बदलाव नहीं दिखाई दिया। ओबीसी और अनुसूचित जाति के वोटरों का वोट दोनों ही पार्टी के खाते में गिरा। ऊंचडीह के अजय बिंद ने बताया कि ओबीसी और दलित दोनों समाज के वोट बिखर गए हैं।
यह वोट आमतौर पर बसपा का था। यही वोट जिसके खाते में गिरेगा, जीत उसी को होगी। कुछ समाज के वोटरों की बातें छोड़ दें तो दावे के साथ कोई भी मतदाता यह बताने की स्थिति में नहीं दिखाई दिया कि किस समाज का शत-प्रतिशत वोट किस पार्टी के खाते में पड़ रहा है।
मेजा विधानसभा सीट के अधिकतर पोलिंग बूथ पर मतदाता सूची में गड़बड़ी के मामले भी सामने आए हैं। क्षेत्र के औता पोलिंग बूथ पर दोपहर के एक बजे सन्नाटा पसरा रहा। यहां के लोगों ने बताया कि अबतक 100 से अधिक लोग वापस जा चुके थे। क्योंकि, उनके नाम मतदाता सूची से गायब थे। भरारी पोलिंग बूथ पर भाजपा और कांग्रेस के बीच भीषण संघर्ष रहा। यहां दलित और आदिवासी वोटर भी बंटे नजर आए। भूमिहार, यादव और मुस्लिम मतदाताओं ने एकतरफा वोटिंग की, जबकि ब्राह्मण, ठाकुर और वैश्य वर्ग का वोट भी एक पक्ष में गया।
शहर पश्चिमी: मुस्लिम में नहीं दिखी दुविधा, जातीय वोटरों में बंटा नजर आया हिंदू
शहर पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र में गठबंधन व भाजपा प्रत्याशी में कांटे की लड़ाई दिखी। महंगाई व बेरोजगारी के मुद्दे पर यहां जमकर वोट बरसे। दूसरी ओर विकास को लेकर भी ईवीएम का बटन दबाने वालों की संख्या कम नहीं रही। मुस्लिम मतदाताओं में वोटिंग को लेकर किसी तरह की दुविधा नहीं दिखी। वहीं, हिंदू वोट जातीय समीकरणों में बंटता नजर आया।
भगवतपुर स्थित संविलियन विद्यालय पीपलगांव मतदान केंद्र पर वोट डालने पहुंचीं महजबीं बानो ने कहा कि उन्होंने महंगाई के मुद्दे पर वोट दिया है। उनके पति राशिद ने भी कहा कि जनता महंगाई से त्रस्त हो चुकी है। इसी केंद्र पर बीएससी कर रहे तारिक खान ने कहा कि बेरोजगारी के मुद्दे पर वोट दिया है। जनरल स्टोर संचालक बद्रीनाथ ने कहा कि क्षेत्र का विकास हो रहा है। इसी पर वोट दिया है।
धूमनगंज स्थित मदर्स पब्लिक स्कूल में विशाल सिंह ने कहा कि विकास मुद्दे पर वोट डाला है। इसी केंद्र पर आए विपिन सेठ ने कहा कि जुमला नहीं, युवाओं के लिए सोचने वाली सरकार बनाने को उन्होंने वोटिंग की। वहीं, शफीक व उनकी पत्नी निबा ने कहा कि महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा है।
शिक्षा और रोजगार का मुद्दा छाया रहा
महिला ग्राम इंटर कॉलेज मतदान केंद्र पर दीक्षा पहली बार वोट डालने पहुंची थीं। उन्होंने बताया कि अच्छी शिक्षा और रोजगार के मुद्दे पर वोट दिया है। व्यापारी अमरबहादुर मौर्य ने कहा कि उन्होंने बदलाव के लिए वोट किया। सेंट विष्णा प्राथमिक स्कूल बेगम सराय, प्राथमिक विद्यालय अहमदपुर पावन, शेरवानी इंटर कॉलेज सल्लाहपुर, प्राथमिक विद्यालय नीवा और पंचम लाल इंटर कॉलेज मतदान केंद्र पर पहुंचे बहुत से मुस्लिम वर्ग के मतदाताओं ने साफ कहा कि उन्होंने महंगाई-बेरोजगरी व जाति-धर्म के नाम पर विभेद न करने वाली सरकार बनाने के लिए वोट दिया। ज्यादातर मतदान केंद्रों पर मुस्लिम वर्ग के मतदाताओं का वोट करने का मुद्दा यही रहा।
वहीं, हिंदू वोटर जातीय समीकरणों में उलझा नजर आया। दलित वर्ग के बहुत से वोटरों ने कहा कि विकास के मुद्दे पर उन्होंने वोटिंग की। हालांकि, कुछ ऐसे भी रहे जिन्होंने बदलाव को आवश्यक बताया। पिछड़े वर्ग का मतदाता भी मुद्दों को लेकर बंटा नजर आया। जैसे दिग्गज सिंह कॉलेज मतदान केंद्र पर पहुंचे रवि गुप्ता ने राष्ट्र की अखंडता के मुद्दे पर वोट डालने की बात कही। दिनेश मौर्य ने कहा कि ठोस फैसले वाली सरकार बनाने के लिए उन्होंने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
सबसे ज्यादा मुस्लिम वर्ग के मतदाता
शहर पश्चिमी क्षेत्र में 4.50 लाख मतदाता हैं, जिनमें सबसे ज्यादा संख्या मुस्लिम वर्ग के मतदाताओं की है। यहां 1.25 लाख मुस्लिम वाेटर हैं। इसके बाद कायस्थ एक लाख, दलित व पिछड़ा 65-65 हजार, ब्राह्मण 20 हजार, मौर्य 35 हजार के आसपास व अन्य वोटर हैं।
करछना विधानसभा: रोजगार, सुरक्षा, जातिगत समीकरण पर पड़ी वोट की चोट
करछना विधानसभा क्षेत्र में हर बूथ पर कमल और पंजे के बीच कड़ी टक्कर दिखी। यहां 53.88 प्रतिशत मतदान हुआ। वोटरों ने मुद्दे गिनाने के बजाय जातिगत समीकरण पर ज्यादा जोर दिया। करमा बाजार के पोलिंग स्टेशन पर रामकिशोर पटेल ने कहा कि लड़ाई भाजपा-कांग्रेस के बीच कांटे की है। दलित मतदाताओं का वोट भी दोनों पार्टियों में बराबर से बंट रहा है।
जयशंकर कुशवाहा ने कहा कि ओबीसी वोटरों की भूमिका अहम है। बेरोजगारी और महंगाई बड़े मुद्दे हैं। हालांकि, पीएम की लोकप्रियता भी मतदाताओं को अपनी ओर लुभा रही है। मौजा गांव के विकास ओझा ने बताया कि कोई भी प्रत्याशी गांव में वोट मांगने नहीं आया है। ऐसे में हर कोई अपने विचार से वोट डाल रहा है। हम युवा रोजगार के मुद्दे पर वोट डाल रहे हैं।
पवरिया और घिसन का पुरा पोलिंग बूथ के मतदाताओं ने कहा कि लोग मोदी व अखिलेश के नाम पर वोट डाल रहे हैं। साथ ही जातिगत समीकरण भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। यहां कुर्मी और दलित वोटों में बिखराव है। दलित मतदाता भी भाजपा-कांग्रेस के बजाय बसपा के साथ ही जा रहे हैं। इन पर सेंधमारी भाजपा-कांग्रेस दोनों ने की है, लेकिन कितना सफल हुए यह नतीजे में मालूम चलेगा। बरदहा के मौर्या समाज के वोटरों में भी बिखराव नजर आया। शिवम मौर्या ने कहा कि उज्ज्वल रमण सिंह को पिता के नाम का बहुत फायदा मिल रहा है। भाजपा और मजबूत चेहरा देती तो चुनाव एकतरफा हो जाता।
बाबूपुर, सारंगापुर, दांदूपुर, पालपुर आदि इलाकों में भी कमल और पंजे के बीच संघर्ष चला। ओबीसी और दलित वोटरों के साथ यहां पर स्वर्ण समाज के बंपर वोट बरसे। कई पोलिंग पर 55 प्रतिशत के करीब मतदान हुआ। पालपुर की अंकिता सिंह ने कहा कि सुरक्षा के नाम पर वोट दिया है। वहीं, उन्हीं की साथी शिवानी ने कहा कि महंगाई के मुद्दे पर मतदान किया है। लिगदहिया और हथिगन के युवा वोटर आकाश, नीरज, अंकित ने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा, रोजगार, विकास और शिक्षा के मुद्दे पर वोट किया है।
कोरांव: एससी-एसटी वोटरों के बीच बिखराव से रोमांचक मुकाबला
इलाहाबाद संसदीय सीट के आदिवासी बहुल विधानसभा क्षेत्र में कोल मतदाता इस बार कांग्रेस और भाजपा के बीच बंटे नजर आए। कुछ दिनों पहले तक जिन आदिवासी और एससी मतदाताओं के भरोसे भाजपा काफी मजबूत नजर आ रही थी, उनके बिखराव ने कांग्रेस को बराबर की लड़ाई पर लाकर खड़ा कर दिया है।
सिर्फ आदिवासी और एससी ही नहीं, ओबीसी वोटर भी इस विधानसभा क्षेत्र में बंटे नजर आए। कोरांव में भाजपा को मजबूत माना जा रहा था लेकिन अचानक बदले जातिगत समीकरण ने लड़ाई को ऐसा उलझा दिया है कि वहां भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबले देखने को मिला। कोरांव विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत बसहरा मतदान केंद्र में वोट देने पहुंचे कुछ एससी मतदाताओं ने वोटरों के बीच हुए बिखराव का कारण स्पष्ट किया।
उन्होंने बताया कि राजबलि जैसल के भाजपा में जाने के कारण एससी वोटरों एक वर्ग पूरी तरह से भाजपा में चला गया है। वहीं, ठाकुर ग्राम प्रधानों के प्रभाव में एससी वोटरों के एक बड़े वर्ग ने कांग्रेस का रुख किया है। ब्राह्मण मतदाता में ज्यादातर भाजपा के साथ गए हैं जबकि कोल मतदाताओं ने इस बार कांग्रेस को प्राथमिकता दी है लेकिन वे भी बंटे हुए हैं।
योजना का लाभ देने में भेदभाव का आरोप
कोरांव के प्राथमिक विद्यालय तरांव में वोट देने पहुंचे कोल मतदाता सुरेश कुमार और कुंज लाल ने दावा किया कि ज्यादातर कोल मतदाता कांग्रेस की तरफ गए हैं। प्राथमिक विद्यालय समलीपुर कोरांव में मतदान के लिए पहुंचे संजय यादव और गुलाब पटेल ने बेरोजगारी एवं पेपर आउट जैसे मुद्दों पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए बदलाव पर जोर दिया।
कोरांव के मतदाताओं से जब पीएम आवास योजना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि योजना तो ठीक है लेकिन इसका फायदा सिर्फ उन्हीं लोगों को मिल रहा है जो ग्राम प्रधानों के करीब हैं। इस योजना का लाभ पाने के लिए 10 से 12 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। वहीं, पांच किलो मुफ्त राशन पर बोले की इससे महीने भर के लिए पेट नहीं भर सकता।
पिछले चुनाव में सरकार की इन्हीं योजनाओं का हवाला देकर नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनाने जाने की वकालत करने वाले मतदाता इस बार दबी जुबान में बदलाव की बात भी करते नजर आए। कोरांव में मतदाताओं के रुख ने संकेत दिया कि इस बार के चुनाव में वहां मुद्दों से ज्यादा जातिगत समीकरण हावी हैं।
फाफामऊ विधानसभा: नजर आई भाजपा से ब्राह्मणों की नाराजगी
फूलपुर लोकसभा के तहत फाफामऊ विधानसभा में भाजपा और गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली। 207 मतदान केंद्रों के 378 बूथों में यह कह पाना मुश्किल है कि चुनाव किस ओर करवट लेगा। कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यहां पर भाजपा सपा पर कुछ भारी नजर आ रही है।
भाजपा के विधायक गुरु प्रसाद मौर्य ने 2022 के विधानसभा चुनाव में फाफामऊ की सीट पर 14 हजार 324 मतों से जीत दर्ज की थी। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा के अंसाद अहमद को हराया था। गुरु प्रसाद को कुल 91 हजार 186 मत मिले थे। वहीं सपा के अंसाद अहमद को 76 हजार 862 वोट मिले थे।
इस बार के लोकसभा चुनाव में फाफामऊ विधानसभा पर भाजपा के वोटर छिटकते नजर आए। सबसे बड़ी बात यह थी कि भाजपा को लगभग एकतरफा पसंद करने वाले ब्राह्मणों में कुछ नाराजगी नजर आई। जिसके चलते ब्राह्मण वोट सपा में बंटता नजर आया। इसके अलावा पटेल और मौर्य वोट भी बंटा। यादव और मुस्लिम वोट एकमुश्त सपा के खाते में गया है।
हंडिया: हार जीत की गणित के केंद्र में ब्राह्मण मतदाता
भदोही लोकसभा सीट की दो विधानसभा प्रयागराज जिले की हंडिया और प्रतापपुर हैं। दोनों सीटों का रुख पिछले चुनाव से बदला- बदला नजर आया, खासकर ब्राह्मण मतदाताओं में। कई तो इस बात से नाराज दिखे कि भाजपा को इस सीट के लिए क्या कोई ब्राह्मण चेहरा नहीं मिला? बार- बार बिंद बिरादरी के सांसद क्यों बने। उनके इस रुख का कितना असर होगा, वह तो चार जून को दिखेगा।
सुबह करीब 10 बजे सैदाबाद के हरिपुर गांव में वोटिंग चल रही थी। तापमान बढ़ रहा था और वोटर लिस्ट से कई लोगों का नाम कटा देख अरविंद पांडेय नाराज हुए। उन्होंने सेक्टर मजिस्ट्रेट से बीएलओ की शिकायत कर दी। बोले, बीएलओ ने गांव के 15 प्रतिशत लोगों को वोटर नहीं बनाया गया। इसको लेकर बीएलओ से नोकझोंक भी हुई। हंडिया में दोपहर तक मतदान की सुबह वाली भीड़ छंट चुकी थी। तापमान बढ़ा तो बूथ पर मतदाताओं की आवक कम हो गई। मतदान करने पहुंचे सुशील तिवारी ने बताया कि इस बार बदलाव का रुख है।
हम तो चाहते हैं कि मोदी पीएम बने लेकिन इस सीट पर कोई ब्राह्मण चेहरा हो। उन्होंने बताया कि अंदरखाने वह लोग उनके साथ हैं, जो भाजपा में हैं। इस सीट पर वोटर लिस्ट में नाम कटने से कई मतदाता नाराज थे। मोहम्मद मुबारक, सन्नो बेगम, मोहम्मद अर्श और रईशा बेगम का नाम नहीं है। वहीं छह वर्ष पहले गुजर चुके हबीब उल्ला का नाम है। मुस्लिम वोटरों का झुकाव भाजपा के विरोध में था। हंडिया विधानसभा क्षेत्र में 376991 मतदाता हैं। इसमें से पुरुष 206517 और महिला मतदाता 170426 हैं। शाम छह बजे तक इस सीट पर 50.23 प्रतिशत मतदान हुआ।
तीन जिलों प्रयागराज, जाैनपुर और भदोही के बार्डर की विधानसभा प्रतापपुर में सपा से विजमा यादव विधायक हैं। इस विधानसभा में यादव और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक है। यह मतदाता विधानसभा चुनाव में सपा के साथ थे। लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में दलित, पाल, पटेल और ब्राह्मण के साथ उन्होंने भी भाजपा को वोट दिया था।
इस चुनाव में मतदाताओं का रुख बदला हुआ है। यहां पर कुल 382749 वोटर हैं। इसमें से पुरुष 208680 और महिला 174009 वोटर हैं। इसमें से शाम छह बजे तक 52.23 प्रतिशत ने मतदान किया। अमूमन हर बूथ पर मतदाता सूची में गड़बड़ी की लोगों ने शिकायत की। इसलिए मत प्रतिशत नहीं बढ़ सका। प्रतापपुर के दलित मतदाता सुधीर ने बताया कि वह संविधान बचाने के मुद्दे पर वोट कर रहे हैं।
देश के जो हालात है, लगता है संविधान खतरे में हैं। रोजगार भी नहीं है और आरक्षण को भी खतरा लग रहा है। चुनाव के दाैरान भाजपा के नेता आरक्षण खत्म न करने की बात कहते हैं और इससे पहले वह आरक्षण की समीक्षा की बात करते थे। सराय इनायत में दोपहर को मतदान करने पहुंचे जमील अहमद ने रोजगार के मुद्दे पर मतदान किया है। कहा कि रोजगार का संकट बढ़ा है। इसलिए अब बदलाव चाहते हैं। क्षेत्र के दलित, पाल, पटेल और ब्राह्मण वोटर अगल- अलग मुद्दों पर बंटे दिखे। एक वोटर तो इस बात से नाराज थे कि राम मंदिर के उद्घाटन में शंकराचार्यों को क्यों नहीं बुलाया गया?
दक्षिणी सीट: दक्षिणी में कहीं पंजा चला तो कहीं दौड़ी साइकिल
शहर दक्षिणी में भाजपा और गठबंधन के बीच आमने-सामने की लड़ाई रही। मुट्ठीगंज, कीडगंज के बूथों पर कमल खिलता रहा, तो करेली के चेतना गर्ल्स इंटर कॉलेज, यूनिटी पब्लिक स्कूल, सहारा इंटर कॉलेज और लेखपाल संघ के बूथ पर पंजे का जोर रहा। यहां भाजपा और गठबंधन के बीच कांटे की लड़ाई है।
सुबह आठ बजे एसएस खन्ना गर्ल्स डिग्री कॉलेज के बूथ पर पहली बार मतदान के लिए पहुंचीं मांडवी ने सुशासन और सुरक्षा के सवाल पर मतदान किया, तो जागृति ने देश को समृद्ध और सुरक्षित बनाने वाले को वोट दिया। इसी तरह डीएवी के बूथ पर उर्मिला ने नारी सुरक्षा को सबसे अहम बताया गया। कहा कि इसी आधार पर उन्होंने अपना मतदान किया है। जबकि विदुषी ने बेरोजगारी और महंगाई के सवाल पर मतदान किया।
इसी तरह करेली में चेतना गर्ल्स इंटर कॉलेज के बूथ पर अशफाक का कहना था कि जनता महंगाई से परेशान है। इसलिए उन्होंने गठबंधन के पक्ष में मतदान किया। इसी तरह चौक के यादगारे हुसैनी इंटर कॉलेज, मजीदिया इंटर कॉलेज, सहारा इंटर कॉलेज और यूनिटी के बूथों पर मुस्लिम मतदाताओं की लंबी कतारें लगी रहीं, जबकि, लोकनाथ में भारती भवन के बूथ पर सन्नाटा छाया रहा। इसी तरह बहादुरगंज और ईसीसी, महिला सेवा सदन के बूथों पर भी मतदान फीका रहा।
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में शहर दक्षिणी सीट पर भाजपा को जीत मिली थी। यहां से तब मौजूदा औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने जीत का परचम लहराया था। इस विधानसभा सीट पर ब्राह्मण, वैश्य और मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी संख्या है। यह सीट वीआईपी भी मानी जाती रही है।
मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक होने के बाद भी लगभग पिछले तीन दशक से यहां भाजपा कब्जा जमाती रही है। इस विस सीट से भाजपा के वरिष्ठ नेता केसरीनाथ त्रिपाठी छह बार लड़े थे, जिसमें उन्होंने पांच बार जीत हासिल की थी। यहां 1989 में त्रिपाठी ने कांग्रेस के सतीश चंद्र जायसवाल को हराया था। वहीं इसी के बाद से बीजेपी के लिए यह सीट गढ़ बन गई।
हालांकि 2007 में केसरीनाथ त्रिपाठी छठवीं बार विधायक के तौर पर जीत नहीं दर्ज कर सके थे। तब नंदी ने उन्हें हरा दिया था। इस बार भी भाजपा को दक्षिणी पर भरोसा है। कहा जा रहा है कि दक्षिणी ने साथ दिया तो यहां भाजपा हैट्रिक लगा सकती है। इलाहाबाद लोकसभा सीट से केशरी नाथ त्रिपाठी के पुत्र नीरज त्रिपाठी को यहीं भी इस बार कड़ी टक्कर मिली है।
बारा विधानसभा: ब्राह्मण और वैश्य वोटर हो सकते हैं भाजपा के भाग्य विधाता
बारा विधानसभा क्षेत्र में भी ओबीसी, एससी वोटर भाजपा और कांग्रेस के बीच बंटे नजर आए। वहीं, मतदान केंद्रों पर पहुंचे ब्राह्मण और वैश्य मतदाता भाजपा की जीत के प्रति आश्वस्त नजर आए। इस विधानसभा क्षेत्र में जमकर वोट बरसे। यहां सर्वाधिक 57.58 फीसदी मतदान हुआ, जिसने मुकाबले को रोमांचक बना दिया है।
बारा विधानसभा क्षेत्र में ओबीसी और एससी वोटरों का बंटवारा और ब्राह्मण-वैश्य मतदाताओं का भाजपा के प्रति समर्थन चुनाव परिणाम को दिलचस्प बना सकता है। अब देखना होगा कि कौन सा दल इन समीकरणों को अपने पक्ष में कर पाता है। घूरपुर मतदान केंद्र में वोट देने पहुंचे नीरज सिंह और आशीष द्विवेदी ने दावा किया कि ब्राह्मण और वैश्य वोटर पूरी तरह से भाजपा के साथ है।
यहां भाजपा को व्यापारी वर्ग का भी अच्छा समर्थन है। वहीं, गौहनिया मतदान केंद्र से वोट देकर निकले राजाबाबू कुशवाहा, श्याम पटेल और अरविंद यादव ने कहा कि ओबीसी वोटर भाजपा और कांग्रेस के बीच बंट गए हैं। वहीं, एससी वोटरों में भी बिखराव नजर आया। बारा में एससी वोटरों का एक हिस्सा बसपा के साथ भी गया है। इससे संकेत मिल रहे हैं कि इस बार चुनाव में ओबीसी और एससी वोटरों का रुझान भी निर्णायक साबित हो सकता है।
मतदाताओं से जब पीएम आवास योजना, उज्ज्वला योजना और मुफ्त राशन जैसी योजनाओं पर बात की गई तो उनमें कोई विशेष उत्साह नजर नहीं आया। अधिकांश मतदाताओं ने इन योजनाओं पर मिलीजुली प्रतिक्रियाएं दीं, जिससे यह संकेत मिलता है कि इन योजनाओं का प्रभाव चुनाव परिणाम पर सीमित हो सकता है। हालांकि, भाजपा समर्थक वोटरों ने सरकार की नीतियों और योजनाओं की प्रशंसा की और उसे फिर से सत्ता में लाने की उम्मीद जताई।
बारा में सर्वाधिक मतदान होने से इस विधानसभा क्षेत्र में जीत-हार को लेकर किसी भी दल के लिए सटीक आकलन लगा पाना अब मुश्किल हो गया है। फिलहाल,क्षेत्र से जुड़े जानकार लोग यही मानकर चल रहे हैं कि ज्यादा मतदान भाजपा को मजबूत बना सकता है, लेकिन जिस तरह से एससी एवं ओबीसी मतों में बिखराव हुआ है और वह कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष जाता है तो तस्वीर बदल सकती है।
सोरांव विधानसभा: कमल-साइकिल में दिखी सीधी लड़ाई, कुर्मी वोटरों में बिखराव
सोरांव विधानसभा क्षेत्र में कमल और साइकिल के बीच सीधी लड़ाई दिख रही है। यहां कुछ पोलिंग बूथ पर बसपा भी संघर्ष करती दिखी, लेकिन कहीं पर भी त्रिकोणीय मुकाबला नजर नहीं आया। कहीं कमल खिलाने वालों का जोश उफान पर रहा तो कहीं मतदाता साइकिल को रफ्तार देने में लगे थे। इलाका बदलने के साथ ही मतदाताओं का रुझान भी यहां बदला नजर आया।
सोरांव में 2014 और 2019 के मुकाबले इस बार मतदान प्रतिशत कम रहा। यहां 2014 में 57.10 तो 2019 में 61 फीसदी मतदान हुआ था। उसके मुकाबले इस बार का मतदान घटकर 55.64 फीसदी पर पहुंच गया। कम मत प्रतिशत को लेकर इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि इसका सीधी फायदा भाजपा को मिलेगा। हालांकि, कुर्मी वोटरों में बिखराव का असर भी चार जून को आने वाले परिणाम में दिख सकता है। यहां होलागढ़ के बूथों पर जहां भाजपा भारी दिखाई दी तो वहीं मऊआइमा में सपा का जलवा दिखा।
सोरांव बाजार, पटेल नगर एवं उसके आसपास के बूथों में कहीं भाजपा तो कहीं सपा आगे दिखाई दी। दयालपुर एवं उसके आसपास के इलाके में भाजपा नेताओं ने अच्छे वोट मिलने की उम्मीद जताई है। जनता इंटर कॉलेज मऊआइमा की बात करें तो यहां दो बजे तक 40 फीसदी से ज्यादा मतदाता अपने मत का प्रयोग कर चुके थे। उच्च प्राथमिक विद्यालय सराय हरिराम विकास खंड होलागढ़ में दोपहर 12:20 बजे तक 1185 में से 429 मत पड़ चुके थे। माधवपुर में वोटिंग प्रतिशत दोपहर एक बजे तक 60 फीसदी से ज्यादा हो गया था।
प्राथमिक विद्यालय होलागढ़ से मत देकर बाहर निकल रहे आरके पटेल और दिवाकर त्रिपाठी ने बताया कि उन्होंने पीएम चेहरा देखकर मतदान किया। वहीं, कन्या पाठशाला से मतदान करके आए मो.इम्तियाज और सुहेल ने कहा कि उनका क्षेत्र काफी पिछड़ा हुआ है। इस बार बदलाव जरूरी है।