Saturday, September 14, 2024
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Prayagraj : लेटे हनुमान मंदिर कॉरिडोर के संचालन पर महाकुंभ से पहले मचा घमासान, सीएम योगी तक पहुंचा मामला

संगम पर हनुमान मंदिर कॉरिडोर योजना महाकुंभ से पहले ही विवादों के घेरे में आ गई है। मंदिर परिसर के संचालन के लिए प्रशासनिक ढांचा और व्यवस्था बनाने संबंधी प्रस्ताव पीडीए बोर्ड की बैठक में पारित होने के बाद निरंजनी अखाड़े के संत खफा हैं। संतों ने प्रशासन के इस निर्णय को गलत और सनातन संस्कृति पर चोट पहुंचाने वाला बताया। महंत ने चेताया कि मंदिर में पूजा-पाठ साधु-संतों का काम है, इसमें बेवजह प्रशासन को दखलअंदाजी नहीं करनी चाहिए।

संगम पर 40 करोड़ रुपये की लागत से निर्माणाधीन लेटे हनुमान मंदिर कॉरिडोर परियोजना के धरातल पर उतरने से पहले ही रार मच गई है। मंदिर परिसर के संचालन की जिम्मेदारी प्रयागराज विकास प्राधिकरण को देने संबंधी प्रस्ताव का निरंजनी अखाड़े ने विरोध जताया है। इस मंदिर का प्रबंधन और संचालन निरंजनी अखाड़ा लंबे समय से करता आ रहा है।

निरंजनी अखाड़े के महंत के पास ही लेटे हनुमान मंदिर के प्रबंधन की जिम्मेदारी होती है। महाकुंभ से पहले धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हनुमान मंदिर कॉरिडोर योजना कुंभ मेला प्रशासन की ओर से तैयार की गई है। इसके लिए मंदिर के पास स्थित 11589 स्क्वायर मीटर जमीन सेना से ली गई है। सेना को इसके एवज में पीडीए नीवां गांव के पास भूमि दे रहा है। इसमें 535 स्क्वायर मीटर में बड़े हनुमान मंदिर का भव्य गर्भगृह और परिक्रमा पथ बनाया जाएगा।

कॉरिडोर एरिया के लिए 2184 स्क्वायर मीटर भूमि निर्धारित की गई है। इस कॉरिडोर क्षेत्र में पाथवे के अलावा पूजा-प्रसाद, फूल-माला की दुकानें और भक्तों के लिए 6176 स्क्वायर मीटर खुला क्षेत्र बनाया जाएगा। ऐसे ही कॉरिडोर के लिए 1310 स्क्वायर मीटर और पैदल परिक्रमा पथ के लिए 760 स्क्वायर मीटर भूमि प्रस्तावित की गई है। शुक्रवार को पी़डीए बोर्ड की बैठक में इस मंदिर परिसर के संचालन के लिए प्रशासननिक ढांचा बनाने के प्रस्ताव पर पर मुहर लगने के बाद मंदिर के महंत बलवीर गिरि ने कड़ा प्रतिवाद किया है।

उनका कहना है कि लेटे हनुमान मंदिर 4870 वर्ग मीटर भूमि पर बना है। यह भूमि मठ मंदिर के नाम से है। इससे सेना और पीडीए का कोई लेना देना नहीं है। कॉरिडोर का निर्माण सेना की अलग भूमि पर होना है। ऐसे में पीडीए को इस तरह का औचित्यहीन प्रस्ताव नहीं लाना चाहिए। अगर इसे वापस नहीं लिया जाएगा तो संत समाज इसकी रक्षा के लिए खड़ा होगा।

निरंजनी अखाड़े के संतों के खून-पसीने से बना है लेटे हनुमान मंदिर: महंत रवींद्र पुरी

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्र पुरी ने लेटे हनुमान मंदिर पर प्रशासनिक नियंत्रण संबंधी प्रस्ताव पर नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने शनिवार को अमर उजाला को बताया कि वह इस मुद्दे पर जल्द ही पीएम और सीएम से मुलाकात कर प्रशासन की ओर से अनावश्यक पैदा किए जा रहे विवाद की जानकारी देंगे। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने बताया कि लेटे हनुमान मंदिर निरंजनी अखाड़े का है। निरंजनी अखाड़े का महंत ही इस मंदिर की सेवा, पूजा और प्रंबधन संभालता है। पीडीए की ओर से वहां प्रशासनिक ढांचा बनाने का प्रस्ताव लाना कतई उचित नहीं है। वह मंदिर साधु-संतों के खून-पसीने से बना है। पीडीए बोर्ड को अपना निर्णय तत्काल वापस ले लेना चााहिए।

महंत बलवीर गिरि ने सीएम योगी को दी पीडीए बोर्ड के प्रस्ताव की जानकारी

मठ बाघंबरी गद्दी और लेटे हनुमान मंदिर के महंत बलवीर गिरि ने शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पीडीए बोर्ड में मंदिर के संचालन के लिए पारित हुए प्रस्ताव की जानकारी दी। महंत ने सीएम को बताया कि अफसरों की ओर से बिना उनकी जानकारी से मनमाना मंदिर के संचालन का प्रस्ताव पारित करना गलत है। मंदिर निरंजनी अखाड़े का है। इससे प्रशासन का कोई लेना देना नहीं है। इस पर सीएम ने उन्हें भरोसा दिलाया कि ऐसा नहीं होगा। मंदिर को लेकर इस तरह की कोई बात होगी तो सबसे पहले उन्हें जानकारी दी जाएगी। महाकुंभ की तैयारियों की समीक्षा के बाद सीएम हनुमान मंदिर पहुंचे थे। वहां उन्होंने भव्य पूजा-आरती की।

 

Courtsy amarujala.com

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