संगम पर हनुमान मंदिर कॉरिडोर योजना महाकुंभ से पहले ही विवादों के घेरे में आ गई है। मंदिर परिसर के संचालन के लिए प्रशासनिक ढांचा और व्यवस्था बनाने संबंधी प्रस्ताव पीडीए बोर्ड की बैठक में पारित होने के बाद निरंजनी अखाड़े के संत खफा हैं। संतों ने प्रशासन के इस निर्णय को गलत और सनातन संस्कृति पर चोट पहुंचाने वाला बताया। महंत ने चेताया कि मंदिर में पूजा-पाठ साधु-संतों का काम है, इसमें बेवजह प्रशासन को दखलअंदाजी नहीं करनी चाहिए।
संगम पर 40 करोड़ रुपये की लागत से निर्माणाधीन लेटे हनुमान मंदिर कॉरिडोर परियोजना के धरातल पर उतरने से पहले ही रार मच गई है। मंदिर परिसर के संचालन की जिम्मेदारी प्रयागराज विकास प्राधिकरण को देने संबंधी प्रस्ताव का निरंजनी अखाड़े ने विरोध जताया है। इस मंदिर का प्रबंधन और संचालन निरंजनी अखाड़ा लंबे समय से करता आ रहा है।
निरंजनी अखाड़े के महंत के पास ही लेटे हनुमान मंदिर के प्रबंधन की जिम्मेदारी होती है। महाकुंभ से पहले धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हनुमान मंदिर कॉरिडोर योजना कुंभ मेला प्रशासन की ओर से तैयार की गई है। इसके लिए मंदिर के पास स्थित 11589 स्क्वायर मीटर जमीन सेना से ली गई है। सेना को इसके एवज में पीडीए नीवां गांव के पास भूमि दे रहा है। इसमें 535 स्क्वायर मीटर में बड़े हनुमान मंदिर का भव्य गर्भगृह और परिक्रमा पथ बनाया जाएगा।
कॉरिडोर एरिया के लिए 2184 स्क्वायर मीटर भूमि निर्धारित की गई है। इस कॉरिडोर क्षेत्र में पाथवे के अलावा पूजा-प्रसाद, फूल-माला की दुकानें और भक्तों के लिए 6176 स्क्वायर मीटर खुला क्षेत्र बनाया जाएगा। ऐसे ही कॉरिडोर के लिए 1310 स्क्वायर मीटर और पैदल परिक्रमा पथ के लिए 760 स्क्वायर मीटर भूमि प्रस्तावित की गई है। शुक्रवार को पी़डीए बोर्ड की बैठक में इस मंदिर परिसर के संचालन के लिए प्रशासननिक ढांचा बनाने के प्रस्ताव पर पर मुहर लगने के बाद मंदिर के महंत बलवीर गिरि ने कड़ा प्रतिवाद किया है।
महंत बलवीर गिरि ने सीएम योगी को दी पीडीए बोर्ड के प्रस्ताव की जानकारी
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