विधायक राजू पाल हत्याकांड में सीबीआई कोर्ट से हत्यारों को भले ही सजा मिल गई हो लेकिन पूजा पाल की ओर से हाईकोर्ट में दाखिल तीन अर्जियां अभी तक लंबित पड़ी हुई हैं। लखनऊ की सीबीआई कोर्ट ने राजू पाल के सात हत्यारों को सजा सुनाई। इसमें छह को आजीवन कारावास और एक को चार साल की सजा दी गई है।
19 बरस की कानूनी जंग में पति के कातिलों को सजा दिलाने वाली पूजा पाल ने माफिया और उसके गुर्गों के खिलाफ बेखौफ होकर लड़ाई लड़ी। हत्याकांड के 11 साल बाद अतीक की हाईकोर्ट से जमानत निरस्त कराकर उन्होंने पहली लड़ाई जीती थी। हालांकि, अतीक के भाई अशरफ और उसके दो गुर्गों दिनेश पासी व आबिद की जमानत का मामला तारीखों के फेर में ही उलझा रह गया। इस बीच, अशरफ की हत्या हो गई और शुक्रवार को आबिद को उम्रकैद।
अतीक को जेल भिजवाया तो फिर निकल न पाया
विधायक राजू पाल की हत्या के आरोपी अतीक अहमद को इलाहाबाद हाईकोर्ट से 12 अप्रैल 2005 को ही जमानत मिल गई थी। 11 साल से इंसाफ की गुहार लगा रहीं पूजा पाल विधायक बन चुकी थीं। अबला से सबला बनीं पूजा ने अतीक की जमानत निरस्त कराने की ठानी और 7 नवंबर 2016 को हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की। करीब छह माह बाद न्यायमूर्ति विपिन सिन्हा की अदालत ने 71 आपराधिक मामलों के इतिहास के आधार पर अतीक की जमानत 31 मई 2017 को निरस्त कर दी थी। पूजा पाल की यह पहली जीत थी। अतीक भी इस बार जेल गया तो फिर निकल नहीं पाया।
जमानत निरस्त का मामला अटका, अपहरण में गुर्गा गया जेल
हत्याकांड में सजा हो गई, जमानत पर निर्णय नहीं
Courtsyamarujala.com