Friday, October 4, 2024
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UP: दुनिया की सबसे जल्दी चार्ज होने वाली स्वदेशी बैटरी… बैकअप भी दोगुना; अमेरिकी सहयोगी के साथ इसे बनाया

हरिश्चंद्र रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने दुनिया की सबसे जल्दी चार्ज होने वाली स्वदेशी बैटरी तैयार की है। इस बैटरी का बैकअप भी दोगुना होगा। इसे अमेरिकी सहयोगी के साथ तैयार किया गया है।

हरीश चंद्र शोध संस्थान (एचआरआई) के दो वैज्ञानिकों ने अमेरिका के सहयोगी संग मिलकर दुनिया की सबसे जल्दी चार्ज होने वाली बैटरी तैयार की है। इस लीथियम आयन बैटरी को चार्ज होने में सिर्फ पांच से सात मिनट लगेंगे।

यह 14 से 16 घंटे का बैकअप देगी, जो मौजूदा बैटरियों से दोगुना है। इस प्रौद्योगिकी से इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) आदि के क्षेत्र में नई क्रांति आ सकती है। पेटेंट कराई जा चुकी इस बैटरी की खूबियां विश्व की प्रख्यात शोध पत्रिका ”नेचर मैटेरियल्स” में भी छपी हैं।

केंद्र सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग से अनुदानित प्रयागराज के झूंसी स्थित एचआरआई के वैज्ञानिक प्रो. सुदीप चक्रवर्ती और डॉ. तिषिता दास ने अमेरिका के टेक्सास स्थित एंडएम विश्वविद्यालय में कार्यरत सह-वैज्ञानिक प्रो. सरबजीत बनर्जी व उनके शोधार्थी समूह ने प्री-इंटरकलेशन मॉडल से रिचार्जेबल लीथियम आयन बैटरी बनाने में सफलता पाई है। इस प्रौद्योगिकी से बैटरी बनाने में उन्हें तीन साल लगे।

प्रो. सुदीप बताते हैं कि दुनिया की सबसे जल्दी चार्ज होने वाली इस स्वदेशी बैटरी का दाम बेहद कम होगा। यह मौजूदा उपलब्ध रिचार्जेबल बैटरी की तुलना में आधे से भी कम समय में चार्ज हो जाएगी। परीक्षणों में इस बैटरी की पॉवर संग्रहण क्षमता, चार्ज व डिस्चार्ज की समय सीमा भी मौजूदा बैटरियों की तुलना में कई गुना अधिक पाई गई है। इसका उपयोग इलेक्ट्रिक बस, कार, स्कूटी और ई-रिक्शा, लैपटॉप सहित तमाम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में किया जा सकेगा।

बैटरी का पेटेंट करा लिया गया है। इसे बाजार में उतारे जाने के लिए निजी कंपनियों से बात की जा रही है। प्रो. सुदीप का मानना है कि कम मूल्य में उपलब्ध यह बैटरी ईवी की कीमतों को भी घटाने में मददगार होगी।
प्रो. सुदीप और डॉ. तिषिता के मुताबिक उन्हें उम्मीद है कि प्री-इंटरकलेशन का उनका प्रस्तावित मॉडल रिचार्जेबल बैटरी उद्योग में नई क्रांति पैदा करेगा। फिलहाल, एक्सपोनेंट एनर्जी के रैपिड चार्जिंग सॉल्यूशन को दुनिया का सबसे तेज चार्जिंग समाधान माना गया था। यह ईवी को 15 मिनट में चार्ज करती है।
तीन साल तक चला परीक्षण
प्रो. सुदीप और डॉ. तिषिता के मुताबिक, पहले प्री-इंटरकलेशन नामक एक नई प्रौद्योगिकी की परिकल्पना की। फिर, प्रो. बनर्जी व शोधार्थी समूह ने टेक्सास की लैब में बैटरी का प्रोटोटाइप तैयार किया। इसकी खूबियों-खामियों का लगातार परीक्षण किया गया। इसके परिणाम प्रो. सुदीप व डॉ. तिषिता की परिकल्पना के अनुरूप ही पाए गए। इनका यह शोध हाल ही में विश्व की पांच सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में से एक नेचर मैटेरियल्स में मूल एवं नवीन शोध पत्र के रूप में प्रकाशित किया गया है। इस पत्रिका के करीब 22 सालों के इतिहास में भारत से मात्र 43 शोध ही प्रकाशित हुए हैं।
Courtsyamarujala.com
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