Friday, October 18, 2024
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UP: पैरामेडिकल की पढ़ाई के नाम पर सैकड़ों से वसूली मोटी फीस, अंग्रेजी से MA करने वाले आशीष ने चलाया ठगी का खेल

पैरामेडिकल की पढ़ाई के नाम पर सैकड़ों से मोटी फीस वसूलने का मामला सामने आया है। प्रतापगढ़ के तीन थानों में आठ लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ है। डीफार्मा-बीफार्मा समेत डिप्लोमा की पढ़ाई के लिए फीस वसूली गई। स्कूल को रिसॉर्ट बना दिया गया।

प्रतापगढ़ के गेटवे कॉलेज ऑफ फार्मेसी एंड मेडिकल कॉलेज में फेल छात्रों को पास कराने और कम फीस में डीफार्मा, बीफार्मा समेत विभिन्न पाठ्यक्रमों की डिग्री देने का झांसा देने वाले संचालक को पुलिस ने जेल भेज दिया। आरोपी ने करीब तीन सौ विद्यार्थियों से लाखों रुपये वसूले थे। बाद में कॉलेज को रिसॉर्ट में तब्दील कर दिया।

पुलिस अधीक्षक डॉ. अनिल कुमार ने शनिवार को बताया कि करीब सात साल से तीन सौ छात्रों को विभिन्न कोर्स कराने के दौरान कूटरचित दस्तावेजों पर फर्जी डिग्रियां संस्था के नाम से दी गईं। जब छात्रों को धोखाधड़ी का पता चला तो विरोध किया। इसके बाद कॉलेज प्रबंधन से जुड़े लोगों ने मारपीट की थी।

पीड़ित छात्रों की शिकायत पर संग्रामगढ़, महेशगंज व मानिकपुर थानों में संचालक संग्रामगढ़ के लोकैयापुर मनगढ़ निवासी आशीष कुमार यादव समेत आठ लोगों पर मुकदमा दर्ज कर सीओ लालगंज रामसूरत सोनकर को जांच सौंपी गई। जांच के दौरान मेडिकल कॉलेज बताई जा रही जगह पर रिसॉर्ट मिला।

जहां पहले स्कूल चलता था। संचालक आशीष कुमार यादव के पास से चार मोबाइल, फर्जी आईकार्ड, सिंघानिया यूनिवर्सिटी की मोहर, चेकबुक, क्यूआर कोड और फर्जी मार्कशीट समेत अन्य कई दस्तावेज बरामद किए गए।

इतना ही नहीं आशीष के बैंक खाते में जमा 9.60 लाख रुपये फ्रीज कराए गए ताकि न्यायालय के आदेश पर रुपये छात्रों को दिया जा सके। छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले फर्जी संचालक को जेल भेजने के साथ ही डिग्रियों की जांच के लिए पुलिस टीम राजस्थान जाएगी। गिरोह के सदस्यों को चिह्नित किया जा रहा है। पुलिस टीम को 25 हजार रुपये का पुरस्कार दिया जा रहा है।
ऐसे खुला फर्जी मेडिकल कॉलेज संचालन का मामला
संग्रामगढ़ के पूरे कुंदन फतेह साहपुर निवासी मुकेश कुमार गेटवे कॉलेज ऑफ फार्मेसी एवं मेडिकल कॉलेज का छात्र था। मुकेश ने सत्र 2021-22 में डी-फार्मा कोर्स किया था। उसने बताया कि कॉलेज के प्रबंधक आशीष यादव ने यूजीसी मान्यता प्राप्त पीसीआई लिंक ग्रीन कार्ड व 45 हजार वार्षिक छात्रवृत्ति की जिम्मेदारी के साथ दाखिला लिया था।
छात्र का आरोप है कि डी-फार्मा कोर्स का सत्र पूरा होने के बाद मेडिकल कॉलेज के प्रबंधक ने सिंघानिया यूनिवर्सिटी झुंझनू राजस्थान से संबंधित फर्जी प्रमाण पत्र दिया। जांच के दौरान डिग्री फर्जी निकली।
अंग्रेजी से एमए करने वाले आशीष ने चलाया ठगी का खेल
फर्जी मेडिकल कॉलेज संचालक आशीष कुमार यादव अंग्रेजी से परास्नातक व कंप्यूटर में दक्ष होने का दावा करता रहा। वह परिवार के सदस्यों व मित्रों के नाम किसान उत्थान सेवा समिति नाम से सोसाइटी रजिस्टर कराकर शांतिपुरम चौराहा फाफामऊ प्रयागराज में ऑफिस खोलकर प्रचार प्रसार कर फेल छात्रों के पास कराने, कम पैसे में डिप्लोमा इन फार्मेसी, बीएसी नर्सिंग, एनएम, जीएनएम, आईटीआई, अल्ट्रासाउंड टेक्नीशियन, एक्सरे टेक्नीशियन, आप्टोमेट्री, फीजियोथेरेपी, डीएमएलटी, योगा डिप्लोमा, पॉलिटेक्निक, ट्रिपलसी इत्यादि कोर्स कराने के लिए 65 हजार से लेकर सवा लाख रुपये तक लेता रहा।
वाराणसी, अमेठी समेत प्रयागराज में भी फैला रखा है जाल
सीओ रामसूरत सोनकर ने बताया कि जांच के दौरान पता चला कि आशीष ने वाराणसी, प्रयागराज, अमेठी समेत कई जनपदों में अपना फर्जी जाल फैला रखा है। 2019-2020 सत्र के लिए सर्व प्रथम छात्र सुधांशु दास से डीफार्मा कोर्स के लिए 1.40 लाख रुपये लिए गए। वह करीब तीन सौ विद्यार्थियों को अपने जाल में फंसाने में कामयाब रहा।
Courtsy amarujala.com
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