मासूम को जिंदा जलाने के मामले में उम्रकैद की सजा पाए 13 लोगों को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। घटना में कुल 15 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। शेष दो आरोपियों की अर्जी पर कोर्ट अगले साल 25 जनवरी को सुनवाई करेगी। मामला मथुरा जिले से जुड़ा हुआ है।
23 साल पहले मथुरा में एक पंचायती भूखंड पर कब्जे को लेकर दलितों के घरों में आगजनी कर छह माह के मासूम को जिंदा जलाने में उम्रकैद की सजा पाए 15 सवर्णों में से 13 दोषियों की हाईकोर्ट ने जमानत मंजूर कर ली है। शेष दो की अर्जी पर जनवरी 2025 के बाद विचार होगा।
यह खूनी खेल मथुरा के हाईवे (तब नरहौली) थाना क्षेत्र के दतिया गांव में 23 जनवरी 2001 की सुबह करीब 7 बजे शुरू हुआ था। तब, पंचायती भूखंड पर सवर्णों ने जबरन निर्माण शुरू किया, जिसका दलितों ने विरोध किया। फिर, जातीय संघर्ष छिड़ गया। पीड़ित होरीलाल ने एफआईआर में कहा कि सवर्णों ने मारपीट, फायरिंग और आगजनी की, जिसमें राजेंद्र सिंह की जांघ में गोली लगी। छह माह की गुड़िया भी झोपड़ी में जिंदा जल गई।
पुलिस ने 16 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। पहले सीओ सदर ने जांच की, फिर सीबीसीआईडी आगरा ने। विवेचना में आठ और आरोपी पता लगे। पहला आरोप पत्र दिसंबर 2005 और दूसरा जनवरी 2006 में ट्रॉयल कोर्ट में दाखिल हुआ। इस बीच आरोपी पक्ष की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी। यह स्थगन 2021 तक प्रभावी रहा।
ट्रायल कोर्ट ने सुनाई थी आजीवन कारावास की सजा