Monday, October 14, 2024
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भारतीय न्याय संहिता : 302 नहीं हत्या अब 103, छेड़खानी में 354 की जगह धारा 74, एक जुलाई से बदल जाएंगी धाराएं

पुलिसकर्मियों को इसके लिए अलग-अलग बैच में प्रशिक्षित किया गया है। साथ पुलिस सॉफ्टवेयर यानी क्राइम, क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) में भी बदलाव कर दिया गया है।

अपराध से भले ही बहुत से लोगों का कोई संबंध न हो, हालांकि बात कुछ गंभीर अपराधों जैसे हत्या, हत्या का प्रयास आदि की हो तो इससे संबंधित आईपीसी की धाराएं मसलन 302, 307 से ज्यादातर लोग परिचित होते हैं। फिलहाल एक जुलाई से ये धाराएं बदल जाएंगी। हत्या के लिए 302 की जगह 103 जबकि हत्या के प्रयास के लिए 307 की जगह धारा 109 लगाई जाएगी। इस दिन से आईपीसी, सीआरपीसी व भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह नए कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) व भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू (बीएसए) हो जाएंगे।

पुलिसकर्मियों को इसके लिए अलग-अलग बैच में प्रशिक्षित किया गया है। साथ पुलिस सॉफ्टवेयर यानी क्राइम, क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) में भी बदलाव कर दिया गया है। पुलिस अफसरों ने बताया कि भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता, दंड प्रकिया संहिता की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता व भारतीय साक्ष्य अधिनियम एक जुलाई से लागू होंगे। इनमें कई बदलाव हुए हैं जो अपराध से संबंधित धाराओं व प्रक्रिया के तहत होंगी। जैसे छेड़छाड़ के मामले अब तक धारा 354 की जगह धारा 74 के तहत लिखे जाएंगे। इसी तरह दुष्कर्म के मामले में धारा 376 की जगह धारा 64 लगाई जाएगी।

यह होंगे अहम बदलाव

बीएनएस में सजा के तौर पर सामुदायिक सेवा का भी प्रावधान किया गया है।
20 नए अपराधों को भी इसमें शामिल किया गया है
33 अपराधों में सजा बढ़ाई गई है।
83 ऐसे अपराध हैं, जिनमें जुर्माने की राशि बढ़ाई गई है।
इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को लेकर भी नए कानून में प्रावधान किए गए हैं।

एक जुलाई से पूर्व में दर्ज मुकदमों की न्यायालय में कार्यवाही पुराने कानूनों के अनुसार ही होगी। कुछ बदलाव हुए हैं ऐसे में चुनौतियां तो आएंगी ही। हालांकि यह कई मायनों में बेहतर निर्णय है और इससे न्याय व्यवस्था और बेहतर होगी। शासन की ओर से सरकारी अधिवक्ताओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया है। जिला बार एसोसिएशन को भी ऐसी ही पहल करनी चाहिए जिसका लाभ अधिवक्ताओं को मिलेगा। – सुशील कुमार वैश्य, एडीजीसी क्रिमिनल

बदलाव हुए हैं, लेकिन धीरे-धीरे वह अभ्यास में आ जाएगा। तकनीक के दौर में अधिवक्ता, पुलिसकर्मी हो या आम व्यक्ति, सभी को खुद को अद्यतन करना होगा। नए कानूनों में कई जटिलताओं को दूर किया गया है और यह बेहद जरूरी था। मसलन, अब ई स्वरूप में भी समन का तामील कराया जा सकता है और इससे न्यायिक कार्यवाही को निश्चित ही गति मिलेगी। – विकास गुप्ता, वरिष्ठ अधिवक्ता

पुराने कानूनों में बहुत सी चीजें अप्रासंगिक थीं और यह न्यायिक प्रक्रिया को जटिल बनाती थीं। नए कानूनों के लागू होने से यह खामियां दूर होंगी और निश्चित ही न्याय पाना और भी सुलभ होगा। – विक्रम सिन्हा, वरिष्ठ अधिवक्ता

 

Courtsyamarujala.com

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