Monday, September 9, 2024
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Cyber Fraud क्रिप्टोकरेंसी बनी साइबर अपराधियों का नया हथियार, जांच में ठिठक जाते हैं पुलिस कदम

क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन करने वाले का ब्यौरा मिलना कम से कम मौजूदा स्थिति में बेहद कठिन है। यही वजह है कि पीड़ित के खाते से बैंक खातों में रकम ट्रांसफर कर नकदी निकालने के मामले में अपराधी पकड़े जाते हैं लेकिन क्रिप्टो में निवेश के बाद जांच अटक जाती है

जार्जटाउन में पूर्व आईएफएस अफसर की पत्नी को डिजिटल अरेस्ट कर 1.48 करोड़ की ठगी की गई। मामले में चार लोगों को गिरफ्तार कर हुई पूछताछ में पता चला कि मास्टरमाइंड ने रकम क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर विदेश में भेजी और फिर वहां से अपने पास मंगवाई। इसके बाद से जांच अटकी पड़ी है।

केस दो

अंतरराष्ट्रीय साइबर ठग गिरोह की एजेंट शबीना समेत तीन को गिरफ्तार कर पूर्व सीएमओ से 1.26 करोड़ की ठगी का खुलासा किया गया। उन्होंने बताया कि पूर्व सीएमओ के खाते से उड़ाई गई रकम क्रिप्टोकरेंसी के जरिए दुबई-ताईवान में बैठे सरगना को भेजी। फिलहाल जांच इसके बाद आगे नहीं बढ़ सकी है।

केस तीन

नैनी में ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर करोड़ों की ठगी में 14 लोग गिरफ्तार हुए लेकिन महीनों बीतने के बाद भी सरगना राहुल साव फरार है। यह बात भी सामने आई है कि उसने यूपी, बिहार, कोलकाता में अपने एजेंटों के जरिए करोड़ों रुपये कमाए और फिर क्रिप्टोकरेंसी के जरिए इन्हें अपने सरगना तक भेजा।

साइबर अपराधियों ने पुलिस से बचने के लिए क्रिप्टोकरेंसी को हथियार बना लिया है। साइबर ठगी में पीड़ितों से हड़पी गई रकम को अब वह सीधे बैंक से निकालने की जगह क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत से बाहर नियंत्रण होने के चलते क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन करने वाले का पता लगाना बेहद मुश्किल है और यही वजह है कि क्रिप्टोकरेंसी में निवेश तक पहुंचकर ही साइबर ठगी के मामलों की जांच अटक जा रही है।

प्रभारी साइबर थाना राजीव तिवारी बताते हैं कि कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें साइबर ठगी के जरिए उड़ाई गई रकम को क्रिप्टाकरेंसी में निवेश कर आगे ट्रांसफर किया गया। क्रिप्टोकरेंसी जैसे बिटक्वॉइन, टीथर आदि का नियंत्रण भारत से बाहर से होता है। जिन एक्सचेंज वॉलेट का इस्तेमाल क्रिप्टोकरेंसी में निवेश व ट्रांसफर के लिए किया जाता है, उन्हें भी विदेश में बैठे लोग ही संचालित करते हैं।

ऐसे में क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन करने वाले का ब्यौरा मिलना कम से कम मौजूदा स्थिति में बेहद कठिन है। यही वजह है कि पीड़ित के खाते से बैंक खातों में रकम ट्रांसफर कर नकदी निकालने के मामले में अपराधी पकड़े जाते हैं लेकिन क्रिप्टो में निवेश के बाद जांच अटक जाती है और इस रकम को पाने वाले का पता लगाना बेहद मुश्किल हो जाता है।

साइबर अपराधियों के लिए सबसे सुरक्षित

साइबर विशेषज्ञ मो. हसन जैदी बताते हैं कि क्रिप्टाेकरेंसी के जरिए बड़ी से बड़ी रकम चंद सेेकेंड्स में दुनिया के किसी भी कोने में ट्रांसफर की जा सकती है। सबसे बड़ी बात यह है कि सभी क्रिप्टोकरेंसी का नियंत्रण भारत से बाहर है, ऐसे में इसके लेनदेन में शामिल लोगों की जानकारी मिलना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर है।

इसके लिए भारतीय दूतावास से संबंधित देश के दूतावास के जरिए पत्र भेजकर भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के तहत जानकारी मांगी जा सकती है, लेकिन यह लंबी और जटिल प्रक्रिया है। यह इस पर भी निर्भर करता है कि संबंधित देश से भारत के रिश्ते कैसे हैं। यही वजह है कि साइबर ठगी के बहुतायत मामलों में रकम को ठिकाने लगाने के लिए क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल किया जा रहा है।

किस देश में हुआ लेनदेन, इसकी मिलती है जानकारी

डीसीपी नगर दीपक भूकर बताते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के बाद रकम कहां और किसके पास गई, इसका पता लगाना थोड़ा मुश्किल लेकिन नामुमकिन नहीं है। अभी भी किसी भी खाते से क्रिप्टोकरेंसी खरीदने पर यह पता लग जाता है कि इसे खरीदने वाला कौन है। इसके बाद यह भी पता लगाया जा सकता है कि क्रिप्टोकरेंसी किस देश में ट्रांसफर हुई। किसके वॉलेट में ट्रांसफर हुई, इसका पता लगाने के लिए संबंधित देश से विधिक नियमों के तहत पत्राचार किया जा सकता है। जो भी उपलब्ध संसाधन हैं, उनमें साइबर अपराध से निपटने के लिए लगातार बेहतर प्रयास किया जाता है। हाल ही में हुए साइबर अपराध के मामलों के खुलासे इसका जीता जागता उदाहरण हैं।
Courtsy amarujala.com
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