यह फैसला न्यायमूर्ति अरविंद कुमार संगवान और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की अदालत ने ट्रायल कोर्ट की ओर से फांसी की सजा की पुष्टि के लिए भेजे गए संदर्भ और अभियुक्त द्वारा दाखिल जेल अपील की एक साथ सुनवाई करते हुए सुनाया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस की दोषपूर्ण विवेचना के चलते दो साल की मासूम बच्ची से दुष्कर्म के बाद हत्या करने के मामले में तांगा चालक को मिली फांसी की सजा रद्द कर दी। कोर्ट ने कहा कि विवेचना की खामियों के कारण अभियोजन परिस्थितिजन्य साक्ष्य के तौर पर पीड़िता के अंतिम दृश्य, डीएनए रिपोर्ट और इकबालिया बयान का आपस में रिश्ता जोड़ने में नाकाम साबित हुआ।
अभियुक्त संदेह का लाभ पाने का अधिकारी है। यह फैसला न्यायमूर्ति अरविंद कुमार संगवान और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की अदालत ने ट्रायल कोर्ट की ओर से फांसी की सजा की पुष्टि के लिए भेजे गए संदर्भ और अभियुक्त द्वारा दाखिल जेल अपील की एक साथ सुनवाई करते हुए सुनाया।
क्या है मामला
मामला बुलंदशहर जिले के शिकारपुर थाना क्षेत्र का है। 10 जुलाई 2020 को वादी ने अपनी दो वर्षीय भतीजी के घर के पास खेलते समय गायब होने का मुकदमा शिकारपुर थाने में दर्ज कराया था। गुमशुदगी दर्ज होने के बाद पुलिस और परिजनों ने बच्ची की तलाश शुरू की। खोजी कुत्ते की मदद भी ली गई। इसी दौरान दो दिन बाद गांव के ही प्रेम सिंह प्रजापति के घर के पीछे वाले तालाब में बच्ची का शव तैरता हुआ पाया गया।पोस्टमार्टम में दुष्कर्म की पुष्टि हुई। बच्ची को अंतिम बार प्रेम सिंह के ही साथ तालाब की ओर जाते हुए देखा गया था। पुलिस ने प्रेम सिंह को गिरफ्तार कर लिया।
ट्रायल कोर्ट से मिली फांसी
हाईकोर्ट ने पाई विवेचना में खामी
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