मामला कोर्ट मुरादाबाद का है। याची की नियुक्ति वर्ष 1995 में खाद्य खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में तृतीय श्रेणी कर्मचारी के रूप में हुई थी। वह फरवरी 25 में रिटायर होने वाला है। तबादला नीति के तहत उसने अपने ग्रह जनपद में तबादले के लिए आवेदन किया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सेवानिवृत्ति से दो साल पहले गृह जनपद में नियुक्ति पाना कर्मचारी का अधिकार है । इस नियम का पालन करना अधिकारियो पर बाध्यकारी है। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम की खंडपीठ ने खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में तृतीय श्रेणी कर्मचारी जितेन्द्र सिंह की विशेष अपील पर दिया पर सुनवाई करते हुए की।
याची के आवेदन को मुरादाबाद मंडल के खाद्य एवं आपूर्ति आयुक्त ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह 16 फरवरी 1995 से 17 सितंबर 12 तक मुरादाबाद मंडल गृह जनपद में तैनात रहा है। यह तबादला नीति निर्देशात्मक है बाध्यकारी नही। इसके खिलाफ याची ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने याची की याचिका को खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ याची ने हाईकोर्ट की खंडपीठ में विशेष अपील दाखिल की थी। खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि तबादला नीति का शासनादेश जारी है तो कर्मचारी को उसका लाभ मिलने की उम्मीद होती है। इस नीति का पालन करना अधिकारियो के लिए बाध्यकारी है। कोर्ट ने याची के प्रत्यावेदन को दो सप्ताह में तय करने का आदेश दिया है।
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