इलाहाबाद संसदीय सीट पर भाजपा के कद्दावर नेता रहे पं. केशरीनाथ त्रिपाठी के पुत्र नीरज त्रिपाठी और कांग्रेस के टिकट पर लड़ रहे सपा नेता रेवती रमण सिंह के पुत्र उज्ज्वल रमण सिंह के बीच आमने-सामने मुकाबला है। बसपा ने यहां रमेश पटेल चितौरी को उतारा है, लेकिन ज्यादातर बूथों पर उनके न पोलिंग एजेंट दिखे न बस्ते नजर आए।
इनपुट: प्रयागराजइलाहाबाद सीट पर गठबंधन के चक्रव्यूह में फंसी भाजपाप्रयागराज। इलाहाबाद संसदीय सीट पर इस बार भाजपा और इंडिया गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर नजर आई। पांच विधानसभा सीटों वाले इस संसदीय क्षेत्र में इस बार विकास और कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर जातीय समीकरण हावी दिख रहे हैं। भाजपा यहां से हैट्रिक लगाएगी या गठबंधन का पंजा चलेगा, कुछ कहा नहीं जा जा सकता।
इस सीट पर भाजपा के कद्दावर नेता रहे पं. केशरीनाथ त्रिपाठी के पुत्र नीरज त्रिपाठी और कांग्रेस के टिकट पर लड़ रहे सपा नेता रेवती रमण सिंह के पुत्र उज्ज्वल रमण सिंह के बीच आमने-सामने मुकाबला है। बसपा ने यहां रमेश पटेल चितौरी को उतारा है, लेकिन ज्यादातर बूथों पर उनके न पोलिंग एजेंट दिखे न बस्ते नजर आए। इससे स्पष्ट है कि भाजपा के मुकाबले इस बार गठबंधन उम्मीदवार के अलावा मतदाताओं के सामने कोई तीसरा विकल्प नहीं रहा।
इनके अलावा भाजपा की सांसद रीता बहुगुणा जोशी का टिकट काटकर केशरी नाथ के पुत्र पर दांव खेलने का दांव उल्टा पड़ता दिखा। पिछले विधान सभा चुनाव में भाजपा मेजा सीट हार चुकी है। करछना, बारा क्षेत्र भी रेवती रमण सिंह का गढ़ माना जाता रहा है। कोरांव और शहर दक्षिणी से भाजपा को हमेशा उम्मीद रही है, लेकिन इस बार यहां भी कांटे की टक्कर है। इस बार कुर्मी और दलित मतों में विभाजन और मुस्लिम मतों की एकजुटता ने भी चिंता बढ़ाई है। ऐसे में यहां भाजपा की राह यहां आसान नहीं दिख रही है।
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