Monday, September 9, 2024
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जामा मस्जिद: सीढ़ियों में श्रीकृष्ण के विग्रह दबे होने को लेकर पुरात्व विभाग नहीं दे सका जवाब, टली सुनवाई

जामा मस्जिद आगरा की सीढ़ियों में श्रीकृष्ण के विग्रह दबे होने के दावे की सच्चाई पर पुरात्व विभाग सोमवार को जवाब नहीं दे सका। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त तक टाल दी है।

जामा मस्जिद आगरा की सीढ़ियों में श्रीकृष्ण के विग्रह दबे होने के दावे की सच्चाई पर पुरात्व विभाग सोमवार को जवाब नहीं दे सका। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त तक टाल दी है। इस बीच शाही ईदगाह की ओर से पक्षकार बनाए जाने की दाखिल अर्जी पर हिंदू पक्ष की ओर से आपत्ति जताई गई।

यह आदेश न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की अदालत ने अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह की ओर से दाखिल याचिका पर दिया है। याचिका में जामा मस्जिद का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) से सर्वे कराने और एडवोकेट कमिश्नर से जांच कराने की मांग की गई है। इस याचिका में शाही ईदगाह कमेटी ने भी खुद को पक्षकार बनाए जाने की अर्जी दाखिल की थी।

सोमवार को सुनवाई के दौरान ईदगाह की अर्जी पर हिंदू पक्षकारों ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि मौजूदा मामले में ईदगाह कमेटी को शामिल किया जाना जरूरी नहीं। हालांकि, मुस्लिम पक्ष की ओर से दाखिल अर्जी में कोर्ट ने तकनीकी खामियां पाईं। लिहाजा, कोर्ट ने उन्हें अर्जी में सुधार करने का मौका दिया है।

एएसआई से सर्वे कराने की मांग

याचिका में कहा गया है कि 1670 में औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर को ध्वस्त करा दिया था। मंदिर के गर्भगृह में स्थित श्रीकृष्ण के स्वर्ण जड़ित विग्रह को जामा मस्जिद आगरा की सीढ़ियों में चुनवा दिया था। औरंगजेब ने ऐसा हिंदू आस्था को ठेस पहुंचाने के इरादे से किया था। याचिका में मांग की गई है कि इसकी जांच के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया जाए। साथ ही एएसआई से सर्वे कराया जाए। विग्रह को जामा मस्जिद से निकालकर पुन: श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा के गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा के साथ स्थापित किया जाए।

इतिहासकारों का हवाला दिया

याची श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह ने अपने दावे के समर्थन में कई इतिहासकारों की पुस्तकों का हवाला दिया। याचिका में इतिहासकार साखी मुस्तैक खान की मासरे आलमगीरी, एफएस ग्राउज की मथुरा मेमोआयर, मथुरा गजेटियर और औरंगजेबनामा, औरंगजेब आईकोलिज्म का हवाला दिया गया है। कहा है कि किताब में जिक्र है कि 1670 में औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि से स्वर्ण जड़ित विग्रह ले जाकर आगरा के मस्जिद में सीढ़ियों के नीचे दफनाए थे।

 

Courtsy amarujala.com

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