करण भूषण शरण सिंह ने कैसरगंज लोकसभा सीट पर एक लाख 48 हजार 843 मतों से जीत दर्ज की। करण भूषण को 5 लाख 71 हजार 263 मत मिले। जबकि इस सीट पर सपा प्रत्याशी भगत राम को 4 लाख 22 हजार 420 मत मिले।
कैसरगंज व गोंडा लोकसभा सीट से इस बार दो बड़े सियासी घरानों के नई पीढ़ियों की परीक्षा थी। कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र से हैट्रिक लगाने वाले मंडल के कद्दावर नेता बृजभूषण शरण सिंह की जगह अब कैसरगंज की विरासत उनके बेटे करण भूषण सिंह के जिम्मे होगी। वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा की तीसरी पीढ़ी को पहले चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
करण भूषण शरण सिंह ने कैसरगंज लोकसभा सीट पर एक लाख 48 हजार 843 मतों से जीत दर्ज की। करण भूषण को 5 लाख 71 हजार 263 मत मिले। जबकि इस सीट पर सपा प्रत्याशी भगत राम को 4 लाख 22 हजार 420 मत मिले।
कैसरगंज लोकसभा सीट पर पिछले 28 सालों से दो ही राजनीतिक घरानों का दबदबा कायम रहा है। वर्ष 1996 से 2004 तक लगातार चार बार बेनी प्रसाद वर्मा यहां से सांसद रहे। उसके बाद वर्ष 2009 से 2024 तक बृजभूषण शरण सिंह यहां से सांसद रहे। लेकिन वर्ष 2024 में इन दोनों घराने से पहली बार अपने अगली पीढ़ी को चुनाव मैदान में उतारकर राजनीतिक विरासत आगे बढ़ाने का प्रयास किया गया।
बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करण भूषण सिंह पहली बार सियासी पारी शुरू करते हुए कैसरगंज लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और वह विजयी भी हुए। लेकिन बेनी प्रसाद वर्मा के बेटे व पूर्व मंत्री राकेश वर्मा की बेटी श्रेया वर्मा गोंडा लोकसभा सीट से अपने जीवन का पहला चुनाव हार गईं। उन्हें भाजपा के कीर्तिवर्धन सिंह ने शिकस्त दी।
इस प्रकार बृजभूषण अपनी अगली पीढ़ी को राजनीतिक विरासत सौंपने में सफल हो गए। जबकि वर्ष 2009 में गोंडा लोकसभा सीट से भी बेनी प्रसाद वर्मा सांसद रह चुके हैं। अब दिवंगत बेनी प्रसाद वर्मा की तीसरी पीढ़ी को अगले चुनाव का इंतजार करना पड़ेगा।
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