Monday, September 9, 2024
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पांच परमेश्वर ने दिया न्याय संगत निर्णय का संदेश

प्रयागराज। सेलीब्रेटिंग नौटंकी महोत्सव की पांचवी संध्या को उ0म0क्षे0 सांस्कृतिक केन्द्र के मंच पर बैठी पंचायत जिसमें जुम्मन शेख और उनकी खाला के बीच हुये विवाद पर न्याय के पक्ष में अलगू चौधरी ने फैसला सुनाया।
जुम्मन शेख और अलगू चौधरी की गाढ़ी मित्रता में पड़ी खटास और दोस्त हुये दुश्मन।

फिर कुछ अन्तराल बाद अलगू चौधरी और समझू साहू के बीच विवाद में पुनः बैठी पंचायत और इस बार जुम्मन शेख ने जो फैसला सुनाया उससे सभी हुये हैरान।

लेकिन इन सब के बीच में एक बात सिद्ध हो गयी कि पंच परमेश्वर का फैसला सदैव न्याय के पक्ष में होता है।
स्वर्ग रंगमण्डल के कलाकारों ने अतुल यदुवंशी के निर्देशकीय कौशल में ‘पंच परमेेश्वर’ को नौटंकी की पारंपरिक गायकी और शिल्प में ढालकर NCZCC के प्रेक्षागृह में नौटंकी को नया आयाम दिया और मुंशी प्रेमचंद की इस कहानी को सर्वाधिक सार्थकता और कलात्मकता प्रदान की। कथा सम्राट मुंशी प्रेमचन्द्र जी की कहानियों और नाटकों में जीवन के खट्टे, मीठे, तीखे अनुभवों का जो मनमोहक सामंजस्य व सम्मिश्रण दिखता है वो अतुलनीय है। मुंशी जी की कहानी ‘पंच परमेश्वर’ में जहॉ न्याय के पद पर बैठकर सत्य से ज़रा भी न टलने और दूध का दूध और पानी का पानी करके न्याय करने की बात पर बल दिया गया है, वहीं अपने देश की साझा-संस्कृति और सह-अस्तित्व की बहुत ही खूबसूरत नुमाईश की गयी है।

जुम्मन शेख और अलगू चौधरी भिन्न-भिन्न धर्म के होने के बावजूद एक दूसरे के अन्तरंग मित्र थे। पत्नी के बहकावे में आकर जुम्मन अपनी खाला से बुरा व्यवहार करता है। खाला अपने दुःख की फरियाद लेकर पंचों के पास जाती है गांव में पंच को परमेश्वर का दर्जा दिया जाता है। पंचायत के सरपंच पद पर आसीन अलगू चौधरी अपने परम मित्र जुम्मन के खिलाफ़ जाकर बूढ़ी खाला के पक्ष में फैसला सुनाते हैं। जुम्मन मियाँ इस बात से अलगू चौधरी से नाराज हो जाते हैं दोनों की मित्रता आपसी वैमनस्यता में बदल जाती है। इसके कुछ समय बाद अलगू चौधरी बैलों की खरीद फरोख्त में महाजन के खिलाफ पंचायत में खड़े होते हैं। परन्तु पंच के आसन पर बैठने के बाद जुम्मन मियाँ वही फैसला सुनाते हैं जो सच और सही होता है और फैसला अलगू चौधरी के पक्ष में होता है। कथा के अंत में अश्रुओं की धारा ने मन के मैल धो डाला और जब दोनों दोस्त जब गले मिले तो दोस्ती के बीच आने वाली सभी खाईयॉ पट चुकी थीं। न्याय की महत्ता पुनः स्थापित हो चुकी थी।

रंगा- धीरज अग्रवाल, रंगीली- प्रिया मिश्रा, जुम्मन शेख- नीरज अग्रवाल, अलगू चौधरी- मनोज कुमार, ख़ाला- शिवानी कश्यप, समझू साहू- शिव कुमार श्रीवास्तव, करीमन- श्रद्धा देशपाण्डे, चौधराइन- शान्ता सिंह, सहूआईन- अनन्या मोहिले, रामधन मिश्र- आर्यन मोहिले, पंच- सचिन केसरवानी, राजेन्द्र कुमार, राम सूरत, बसन्त लाल त्यागी, सरपंच- मनोज कुमार एवं नीरज अग्रवाल ने अपनी भूमिका में उत्कृष्ट अभिनय किया। संगीत पक्ष में हारमोनियम- दिलीप कुमार गुलशन, ढोलक- मोहम्मद साजिद, नक्कारा- नगीना, रूपसज्जा- मोहम्मद हमीद, प्रकाशन निर्देशन- सुजॉय घोषाल, वस्त्र विन्यास- शिल्पी यदुवंशी, सेट निर्माण- सन्त लाल पटेल एवं अद्वितीय, नौटंकी रूपान्तरण राजकुमार श्रीवास्तव रहे।

 

Anveshi India Bureau

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