अब स्थानीय लेखा विभाग को लखनऊ ले जाने की तैयारी है। इतना ही नहीं राजकीय मुद्रणालय के अंतर्गत सिक्योरिटी प्रेस का निर्माण भी लखनऊ में कराया जा रहा है। जबकि, मुख्यालय प्रयागराज में है और यहीं के लिए प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन चौंकाने वाली बात यह कि प्रयागराज की पहचान बन चुके इन कार्यालयों का जाना सियासी गलियारे की चर्चा में भी नहीं है।
लोकसभा के चुनावी महासमर के बीच सूबे की सियासी राजधानी की पहचान रखने वाली संगमनगरी मुख्यालयों की शिफ्टिंग से अपना अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रही है। एक-एक कर मुख्यालय लखनऊ स्थानांतरित होते जा रहे हैं, लेकिन इसी शहर से डिप्टी सीएम के होते हुए भी इसकी आवाज सियासी गलियारों में नहीं गूंज सकी है। ऐसे में प्रयागराज की पुरानी पहचान धूमिल होती जा रही है।
एक समय था जब प्रयागराज प्रदेश का भौगोलिक एवं राजनीतिक राजधानी हुआ करता था। 1887 में आठ फरवरी को यहां केंद्रीय पुस्तकालय में विधानमंडल की पहली बैठक हुई थी। प्रयागराज की इसी महत्ता को देखते हुए हाईकोर्ट, लोक सेवा आयोग समेत कई बड़े विभागों के मुख्यालय यहीं बनाए गए लेकिन शिक्षा विभाग, एजी ऑफिस, पुलिस मुख्यालय, आबकारी समेत कई विभागों के कार्यालय यहां अस्तित्व में तो हैं लेकिन इनके मूल काम लखनऊ शिफ्ट हो गए हैं।
राजकीय मुद्रणालय एवं सिक्योरिटी प्रेस