पॉश इलाके सिविल लाइंस में गरजी थी एके 47
जवाहर यादव उर्फ पंडित की हत्या 13 अगस्त 1996 को शहर के सिविल लाइंस इलाके में कर दी गई थी। उस वक्त शाम के करीब साढ़े छह बजे थे। जवाहर यादव अपनी मारुति 800 कार से लाउदर रोड स्थित कार्यालय से अशोक नगर अपने घर जा रहे थे। हमलावर एक मारुति वैन में सवार थे। सभी एके-47 और अन्य घातक असलहों से लैस थे।
जवाहर के भाई सुलाकी यादव ने करवरिया बंधुओं पर हत्या करने का आरोप लगाते हुए सिविल लाइंस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। घटना की जांच शुरू में सिविल लाइंस पुलिस ने और उसके बाद सीबीसीआईडी की इलाहाबाद, लखनऊ और वाराणसी शाखा से कराई गई थी।
सीबीसीआईडी के आरोपपत्र दाखिल करने के बाद हाईकोर्ट के स्थगनादेश के चलते मुकदमे की कार्रवाई पर काफी समय तक रोक लगी रही। 2015 में हाईकोर्ट का स्थगन आदेश समाप्त होने के बाद इस मुकदमे में सुनवाई प्रारंभ हुई। उसी समय करवरिया बंधुओं को सरेंडर कर जेल जाना पड़ा था।
सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकरण में त्वरित सुनवाई करने और अनावश्यक तारीख ना लगाने का आदेश दिया था। लगभग 4 वर्ष चली नियमित सुनवाई के बाद अदालत ने गत दिनों अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था, जिसमें 31 अक्तूबर को दोष तय किया गया और 4 नवंबर को दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
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हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी अंतरिम जमानत अर्जी
पूर्व विधायक उदयभान करवरिया पिछले साल 12 मई को जेल भेजा गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत अर्जी खारिज होने के बाद 12 मई को वह नैनी सेंट्रल जेल में फिर पहुंच गया था। आजीवन कारावास की सजा मिलने के बावजूद अप्रैल 2022 से पैरोल पर छोड़े जाने के खिलाफ जवाहर पंडित के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
विधायक जवाहर पंडित की हत्या में उम्रकैद की सजा पाए भाजपा के पूर्व विधायक उदयभान करवरिया की पैरोल (अंतरिम जमानत) 12 मई को खत्म हुई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसकी जमानत अर्जी खारिज करते हुए 12 मई को नैनी सेंट्रल जेल में रिपोर्ट करने का आदेश दिया था। आजीवन कारावास की सजा मिलने के बावजूद उदयभान करवरिया को अप्रैल 2022 से पैरोल पर छोड़े जाने के खिलाफ विपक्षीगण ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसमें लंबे वक्त तक पैरोल दिए जाने का विरोध किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति सही मानी और फिर प्रकरण इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा। जिसके बाद उदयभान की नियमित जमानत पर सुनवाई हुई थी। हाईकोर्ट में विपक्षीगण ने सबूत के साथ कहा कि उदयभान इलाज कराने के नाम पर हासिल पैरोल का दुरुपयोग कर रहा है। वह पार्टियों में जा रहा है, आपराधिक लोगों से भी मुलाकात कर रहा है। इसके बाद हाईकोर्ट ने उसकी जमानत याचिका निरस्त करते हुए 12 मई को नैनी जेल प्रशासन के रिपोर्ट करने का आदेश दिया था। 1996 में हुए विधायक जवाहर पंडित हत्याकांड में उदयभान करवरिया, उसके भाई सूरजभान करवरिया और कपिलमुनि करवरिया को आजीवन कारावास की सजा हुई है।
विजमा यादव ने कहा- रिहाई के खिलाफ जाएंगे हाईकोर्ट
भाजपा के पूर्व विधायक उदयभान करवरिया के आचरण को देखते हुए उनकी समय पूर्व रिहाई को प्रतापपुर से सपा विधायक विजमा यादव ने अनुचित बताया है। सरकार के निर्णय पर सवाल उठाते हुए कहा कि दिनदहाड़े एके-47 से गोलियां बरसाकर उनके पति विधायक जवाहर यादव उर्फ जवाहर पंडित की हत्या की गई थी। उदयभान उसमें आरोपी हैं। इनका परिवार कई पीढ़ी से अपराध में लिप्त है। ऐसे व्यक्ति का जेल में आचरण कैसे अच्छा हो सकता है?
अशोकनगर स्थित अपने निवास पर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि सरकार ने 2018 में भी उदयभान की सजा वापस ली थी, जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई है। यह मामला अभी हाईकोर्ट में लंबित है। इसके बावजूद सरकार ने उन्हें रिहा कर दिया है। इस निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी। वहां से मुझे न्याय की पूरी उम्मीद है। उन्होंने कहा कि अगर हत्या करके आजीवन कारावास की सजा पाने वाले व्यक्ति का आचरण इतना अच्छा हो जाता है तो ऐसे में सारे कैदियों को रिहा कर देना चाहिए।
1996 में AK-47 से दहल उठा था प्रयागराज
सपा के बाहुबली नेताओं में शामिल और झूंसी से विधायक जवाहर यादव पंडित की 13 अगस्त 1996 को दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। यह पहली बार था, जब किसी हत्याकांड में एके-47 जैसे अत्याधुनिक हथियार का इस्तेमाल हुआ था।
बता दें कि उन्हें वर्ष 2019 में प्रयागराज के अपर सत्र न्यायाधीश ने सपा विधायक जवाहर यादव उर्फ जवाहर पंडित की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। साथ ही उनके भाई पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया, पूर्व एमएलसी सूरजभान, रामचंद्र त्रिपाठी को भी आजीवन कारावास की सजा हुई थी। उदयभान का जेल में आचरण अच्छा होने पर प्रयागराज के डीएम और पुलिस कमिश्नर ने उनकी समयपूर्व रिहाई की संस्तुति की थी।