Thursday, September 12, 2024
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Saira Banu: साहब की एक झलक के लिए ‘मुगल-ए-आजम’ के प्रीमियर में पहुंची थीं सायरा बानो, अधूरी रह गई थी तमन्ना

दिलीप कुमार और मधुबाला अभिनीत फिल्म  ‘मुगल-ए-आजम’ 5 अगस्त 1960 को रिलीज हुई थी। इसका प्रीमियर मुंबई के ‘मराठा मंदिर’ में हुआ था, जिसमें आने का न्योता सायरा बानो को भी मिला था। सायरा बानो की खुशी का तो ठिकाना नहीं था। फिल्म देखने से ज्यादा खुशी साहब यानी दिलीप कुमार को देखने की थी। सायरा बानो अभिनेता दिलीप कुमार की दीवानी थीं। प्रीमियर में जाने से कई दिनों पहले से उन्होंने तैयारियां शुरू कर दी थीं। 5 अगस्त को फिल्म की सालगिरह के मौके पर सायरा बानो ने पोस्ट साझा कर बताया था कि उन्होंने कई दिन पहले से अपने बाल और त्वचा को निखारने की कोशिश शुरू कर दी थीं। आज मंगलवार को एक अन्य पोस्ट में उन्होंने कई और दिलचस्प खुलासे किए हैं।
Dilip Kumar and MUGHAL E AZAM director K Asif friendship had soured Saira Banu revealed reason

दिलीप कुमार अपने दौर के लोकप्रिय अभिनेता थे। इंडस्ट्री की कई अभिनेत्रियां उन्हें पसंद करती थीं। दिलीप कुमार और मधुबाला की मोहब्बत के किस्से भी सुनाए जाते हैं। मधुबाला सहित कई अभिनेत्रियों की दिलचस्पी दिलीप कुमार में थी, यह जानते हुए भी सायरा बानो बड़ी शिद्दत से दिलीप कुमार को प्यार करती रहीं और मिसेज दिलीप कुमार बनने का सपना सजाती रहीं, जो साकार भी हुआ। इंस्टाग्राम पर साझा किए पोस्ट में सायरा बानो ने बताया है कि वे ‘मुगल-ए-आजम’ के प्रीमियर में एक टन की साड़ी पहनकर पहुंची थीं। उनका वजन साड़ी से काफी कम था, चलने-फिरने में दिक्कत हो रही थी, लेकिन अपनी मां की मदद से उन्होंने साड़ी बांधी और फिर इस उम्मीद से ‘मराठा मंदिर’ पहुचीं कि ‘मुझे देख साहब दीवाने हो जाएंगे’।
Dilip Kumar and MUGHAL E AZAM director K Asif friendship had soured Saira Banu revealed reason

सायरा बानो ने लिखा है, ‘मैंने अपनी मां को मनाया कि वो वेस्टर्न ड्रेस की बजाय मुझे अपनी भारी गोटे वाली साड़ी दें। मैंने कई वर्षों तक हवा में महल बनाए थे और मैं इस बात से वाकिफ थी कि खूबसूरत मधुबाला सहित कई महिलाएं साहिब में दिलचस्पी रखती थीं। लेकिन आपको क्या लगता है कि कुछ भी मुझे श्रीमती दिलीप कुमार बनने के मेरे सपने से रोक सकता था? आखिर 5 अगस्त, 1960 को ‘मराठा मंदिर’ में प्रीमियर का वह क्षण आ गया, जब मुझे उनसे नजरें मिलाने की उम्मीद थी, लेकिन वह पल बर्बाद हो गया। साहब की एक झलक भी नहीं दिखी। और मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे ऊपर ठंडा पानी गिर गया हो’।
Dilip Kumar and MUGHAL E AZAM director K Asif friendship had soured Saira Banu revealed reason

दरअसल, सायरा बानो जिस उम्मीद से पहुंची थीं, वह पूरी नहीं हुई। दिलीप कुमार प्रीमियर में नहीं पहुंचे थे। अभिनेत्री ने लिखा है, ‘बाद में मुझे पता चला कि साहब और उनके बहुत करीबी दोस्त और ‘मुगल-ए-आजम’ के निर्देशक के बीच की गहरी दोस्ती में खटास आ गई थी, क्योंकि आसिफ साहब ने दिलीप साहब से एक शब्द भी कहे बिना उनकी छोटी बहन अख्तर से चुपके से शादी करके साहब और उनके परिवार को चौंका दिया था। मैं प्रीमियर में अपनी मां के साथ अपनी सीट पर बैठी थी’।

Dilip Kumar and MUGHAL E AZAM director K Asif friendship had soured Saira Banu revealed reason
सायरा बानो ने आगे लिखा है, ‘अजीब बात यह है कि साहब ने इन विपरीl परिस्थितियों के चलते ‘मुगल-ए-आजम’ नहीं देखी थी। बाद में हमारी शादी के बाद हमें पुणे के फिल्म और टेलीविजन संस्थान में आमंत्रित किया गया। यह एक आकर्षक अनुभव था, जिसमें सभी छात्र साहब के चारों ओर इकट्ठे हुए और संस्थान के लोगों को दिलीप साहब का स्वागत करने और उनकी फिल्मों को बनाए रखने का सम्मान मिला, जिन्हें संस्थान में अध्ययन करने वालों को बार-बार दिखाया गया। जैसे ही मुझे पता चला कि उन्होंने ‘मुगल-ए-आजम’ को नाटक के एक पाठ के रूप में आयोजित किया था, मैं खुशी से उछल पड़ी। मैंने उनसे ‘मुगल-ए-आजम’ दिखाने का अनुरोध किया और साहब को पहली बार ‘मुगल-ए-आजम’ दिखाने में सहायक बनी। वह क्या सम्मान था’!

Courtsy amarujala.com
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