इन दिनों निर्देशक तिमगांशु धूलिया का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है जिसमें वह हिंदी सिनेमा के अभिनेताओं के बारे में बात करते नजर आ रहे हैं। तिगमांशु इस वीडियो में बता रहे हैं कि कैसे हिंदी सिनेमा में काम करने वाले कलाकारों का हिंदी में ही हाथ सबसे ज्यादा तंग है। और, इस बात को साबित कर दिखाया है फिल्म ‘ऐ वतन मेरे वतन’ के सिलसिले में हुए इंटरव्यू के दौरान इसकी हीरोइन सारा अली खान ने।
इन दिनों निर्देशक तिमगांशु धूलिया का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है जिसमें वह हिंदी सिनेमा के अभिनेताओं के बारे में बात करते नजर आ रहे हैं। तिगमांशु इस वीडियो में बता रहे हैं कि कैसे हिंदी सिनेमा में काम करने वाले कलाकारों का हिंदी में ही हाथ सबसे ज्यादा तंग है। और, इस बात को साबित कर दिखाया है फिल्म ‘ऐ वतन मेरे वतन’ के सिलसिले में हुए इंटरव्यू के दौरान इसकी हीरोइन सारा अली खान ने।
भारतीय संस्कृति और सभ्यता से अपना जुड़ाव दिखाने के लिए सारा अली खान अक्सर देश के प्रसिद्ध मंदिरों से अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करती रहती हैं। फिल्म ‘ऐ वतन मेरे वतन’ में भी वह उस गांधीवादी कांग्रेस नेता के किरदार में हैं जिन्होंने आजादी की लड़ाई में महिला सशक्तिकरण का झंडा बुलंद किया। लेकिन, जब सारा से महिला सशक्तिकरण से जुड़ा सवाल पूछा गया तो उनकी समझ में नहीं आया कि इस शब्द का मतलब क्या होता है?
अभिनेत्री सारा अली खान की फिल्म फिल्म ‘ए वतन मेरे वतन’ ओटीटी प्लेटफार्म अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई है। इस फिल्म में सारा अली खान ने स्वतंत्रता सेनानी उषा मेहता की भूमिका निभाई है। देखा जाए तो यह किरदार महिला सशक्तिकरण का एक प्रमाण है, लेकिन सारा अली को असल में खुद ही नहीं पता कि महिला सशक्तिकरण का मतलब क्या होता ? जब सारा को बताया गया कि अंग्रेजी में इसका मतलब ‘वूमन एम्पॉवरमेंट’ होता है, तब उनको इस शब्द का मतलब समझ में आया है। इससे पता चलता है कि हिंदी सिनेमा में काम करने वालों कलाकारों की हिंदी भाषा को लेकर कितनी तैयारी है।
सारा अली खान की फिल्म ‘मर्डर मुबारक’ पिछले हफ्ते ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई है। और, आज उनकी फिल्म ‘ए वतन मेरे वतन’ ओटीटी प्लेटफार्म अमेजन प्राइम वीडियो पर दस्तक दे चुकी है। इससे पहले उनकी फिल्में ‘गैसलाइट’, ‘अतरंगी रे’ और ‘कुली नंबर वन’ सिनेमाघरों में रिलीज ना होकर सीधे ओटीटी प्लेटफार्म पर ही रिलीज हुई थी।
सारा अली खान के पास इस फिल्म में अपने अभिनय के भावनात्मक पहलू दिखाने के तमाम मौके रहे। ब्रहमचर्य की शपथ लेने के बाद अपने मित्र कौशिक से उषा का संवाद फिल्म का टेंट पोल बन सकता था। रेडियो के लिए उषा की जद्दोजहद भी दर्शकों को साथ जोड़ नहीं पाती। बुआ बनीं मधु राजा के साथ उनके दृश्य कहानी को एक अलग स्तर तक ले जा सकते थे। सारा का अभिनय इतना सामान्य है कि अपने पिता के साथ उनके दृश्यों में भी दोनों का भावनात्मक संघर्ष उभरकर सामने नहीं आ पाता है।
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