मामले में गौतम बुद्ध नगर के थाना जारचा निवासी मोहन की जमानत अर्जी पर कोर्ट सुनवाई कर रही थी। मोहन पर एक महिला का नहाते समय वीडियो रिकॉर्ड कर उसे ब्लैकमेल करने और वीडियो वायरल करने की धमकी देकर शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करने का आरोप पीड़ित पक्ष ने लगाया था।
हाईकोर्ट ने कहा कि अधिवक्ताओं की दोहरी जिम्मेदारी है। उन्हें न्यायालय में व्यवधान पैदा करने के बजाय अदालत की सहायता करनी चाहिए। न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने जमानत अर्जी की सुनवाई के दौरान निर्णय के बाद भी अधिवक्ता अरुण कुमार की ओर से दलील जारी रखने पर 10 हजार रुपये जुर्माना लगाते हुए यह टिप्पणी की।
याची अधिवक्ता ने गलत आरोप और एफआईआर में देरी और अभियोजन पक्ष के दावों का समर्थन करने के लिए कोई फॉरेंसिक रिपोर्ट नहीं होने की दलील रखी। साथ ही कहा कि आरोपी का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। इसलिए वह जमानत का हकदार है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करने के बाद आवेदक को जमानत देने से इन्कार कर दिया। इसी दौरान न्यायालय के निर्णय के बावजूद अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखना जारी रखा, जिससे कार्यवाही में व्यवधान उत्पन्न हुई। इस पर कोर्ट ने अधिवक्ता पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।
न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने टिप्पणी की
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