प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को तगड़ा झटका लगा है। अधिक अंक पाने वाले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की मांग थी कि उन्हें योग्यता के आधार पर सामान्य वर्ग में शामिल कर नए सिरे से सूची तैयार की जाए, लेकिन कोर्ट ने उनकी मांग को खारिज कर दी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने टीजीटी शिक्षक भर्ती के आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को तगड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) में सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए आरक्षण नियमों का पालन करते हुए नए सिरे से प्रतीक्षा सूची तैयार करने वाले एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने आरक्षित वर्ग के याचियों को अपनी आपत्ति दाखिल करने के लिए दो हफ्ते की मोहलत दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की ओर से हाईकोर्ट की एकल पीठ के उस आदेश को चुनौती देने वाली विशेष अपील पर पारित किया है, जिसमें एकल पीठ ने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को योग्यता के आधार सामान्य श्रेणी की योग्यता सूची में शामिल करते हुए नए सिरे से प्रतीक्षा सूची तैयार करने का आदेश दिया था। यह कहा था कि सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार की तुलना में अधिक अंक प्राप्त करने वाले आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार को सामान्य श्रेणी के रूप में चयन प्रक्रिया में प्राथमिकता दी जाएगी। जबकि, आरक्षित श्रेणी में केवल आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों का ही चयन होगा।
मामला वर्ष 2021 की सहायक अध्यापक भर्ती का है। यूपी माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने 12603 पदों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। ओबीसी श्रेणी के लिए जारी कट-ऑफ अन्य उम्मीदवारों के बराबर होने के कारण उन्हें प्रतीक्षा सूची में रखा गया था। इस सूची में आरक्षित श्रेणी से कम अंक पाने वाले सामान्य अभ्यर्थियों को सबसे ऊपर रखा गया था। जबकि ज्यादा अंक पाने वाले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को सामान्य श्रेणी के सीटों से वंचित किया जा रहा था। इसके खिलाफ अखिलेश कुमार व अन्य की ओर से एकल पीठ में याचिका दाखिल की गई थी, जिसे एकल पीठ ने स्वीकार किया था। प्रतीक्षा सूची नए सिरे से तैयार करने का आदेश दिया था।
इस आदेश को चयन बोर्ड ने हाईकोर्ट की खंडपीठ में चुनौती दी है। बोर्ड की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि बोर्ड ने सामान्य श्रेणी की रिक्त रह गई सीटों के आधार पर प्रतीक्षा सूची तैयार कर नियुक्ति की सिफारिश कर रहा है। चूंकि सभी सीटें सामान्य वर्ग की हैं इसलिए सामान्य वर्ग को सूची में शामिल किया गया है। यह भी तर्क दिया कि मुख्य चयन सूची में आरक्षण लागू हो चुका है। एक श्रेणी को दूसरी श्रेणी में स्थानांतरित नही किया जा सकता। इसके अलावा यह तर्क भी दिया कि एकल पीठ में दाखिल याचिका में सामान्य वर्ग के हितबद्ध अभ्यर्थियों को प्रतिवादी नहीं बनाया गया था। कोर्ट ने आरक्षित वर्ग के याचियों के वकील उत्कर्ष बिरला को विशेष अपील के विरुद्ध आपत्ति दाखिल करने के लिए दो हफ्ते की मोहलत दी है।मामले की अगली सुनवाई 15 मई को होगी।
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